पाकिस्तान और अफगानिस्तान के ऊपर बने पश्चिमी विक्षोभ ने उत्तर प्रदेश समेत पूरे उत्तर भारत का मौसम बिगाड़ दिया है। बुधवार को छायी बदली ने गुरुवार की भोर से बरसना शुरू कर दिया। इससे दिन के तापमान में गिरावट आयी। ठण्ड के साथ गलन बढ़ गयी। इस बेमौसम की बरसात से आमजन जीवन अस्त व्यस्त हो गया। किसानों का हाल बुरा है। खेत में आलू, सब्जियों, सरसों, गेहूं आदि की फसलों के खराब होने का खतरा मंडरा रहा है। उधर इस ठंड से दिल, ब्ल प्रेशर, अस्थमा, शुगर के मरीजों की दिक्कतें बढ़ गयी हैं।
पश्चिमी विक्षोभ ने बिगाड़ा मौसम
पहली जनवरी से ही पाकिस्तान और अफगानिस्तान के ऊपर पश्चिमी विक्षोभ तैयार थे। इनका रुख जम्मू एवं कश्मीर की तरफ है। इसका असर उत्तर प्रदेश पर भी है। मौसम विभाग ने पहले ही गुरुवार से मौसम खराब होने की संभावना जतायी थी। गुरुवार की भोर से बरसात शुरू हो गयी थी। पूरे दिन राजधानी और आसपास के इलाकों में हल्की बारिश होती रही। गोसाईंगंज, सरोजिनीनगर में ओले गिरने भी सूचना मिली है।
बरसात के कारण दिन के तापमान में तीन डिग्री सेल्सियस की गिरावट हुई। गुरुवार को अधिकतम तापमान 16.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं दिन में 11 बजे 14 डिग्री सेल्सियस, दिन में तीन बजे 16.5 डिग्री सेल्सियस और शाम पांच बजे 16 डिग्री सेल्सियस तापमान रहा।
अगले सात दिन खराब रहेगा मौसम
मौसम विभाग के निदेशक जेपी गुप्ता ने बताया कि यह पश्चिमी विक्षोभ ताकतवर है। अगले सात दिन मौसम ऐसा ही रहेगा। शुक्रवार और शनिवार को बदली के साथ बरसात होगी। इसके बाद बदली बरकरार रहेगी। फिर 11 और 12 दिसम्बर को बारिश की संभावना है। ठण्ड के साथ गलन बढ़ेगी। न्यूनतम तामपान में गिरावट नहीं होगी। यह 9से 11 डिग्री सेल्सियस तक बना रह सकता है। वहीं दिन का तापमान 18 से 21 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है।
जनजीवन अस्त-व्यस्त
बेमौसम की बदली और बरसात ने राजधानी के जनजीवन को अस्तव्यस्त कर दिया है। दिन भर हुई बूंदाबांदी के कारण लोग सड़कों पर भीगते रहे। बाजारों में भीड़ कम रही। लाटूश रोड, हीवेट रोड, कैसरबाग जैसे घने इलाकों में कहीं सीवर तो कही सड़कों की खुदायी के कारण बरसात से कीचड़ हो गया। दिन भर जाम लगा रहा।
पिछले 24 घंटों में जिले में तीन मिमी बरसात रिकार्ड की गई। बरसात के कारण लोग घरों में कैद होने पर मजबूर हो गए। न्यूनतम दिन में पारा 13 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। पूरे दिन रुक-रुक कर बरसात के कारण हर कोई ठिठुर गया। बरसात से सड़कों और बाजारों में कीचड़ हो गया। लोगों का चलना मुश्किल हो गया।
अलाव नहीं जलते नहीं दिखे
जिला प्रशासन और नगर निगम की तरफ से सार्वजनिक स्थलों पर जलाये जाने वाले अलाव कहीं नहीं दिखे। इससे फुटपाथ पर जीवन जीने वाले गरीबों का ठंड से बचाव करने का सहारा भी छिन गया। शाम के समय तेज बरसात के कारण गलन इतनी बढ़ गई कि लोगों के हाथ पैर की उंगलियां तक सुन्न होने लगी। बरसात से लोग घरों में कैद रहे। गरीबों और फुटपाथ किनारे जीवन बिताने वालों के लिए कड़ाके की ठंड के बीच बरसात मुसीबत बन गई।