बख्शी का तालाब : टपकती छत नहीं, आज मजबूत भवन बन चुका है। टूटी और उखड़ी फर्श की जगह अब चमचमाती इटैलियन टाइल्स हैं। शिक्षक अब श्याम पट पर नहीं, स्क्रीन बोर्ड पर पढ़ा रहे हैं। बच्चों को पीने के लिए स्कूल में ही साफ सुथरा पानी उपलब्ध है। शौच के लिए बच्चों को नदी का किनारा नहीं, बल्कि स्कूल परिसर में ही चमचमाता शौचालय है। यह सब संभव हो सका प्रदेश सरकार के आपरेशन कायाकल्प से। महज पांच वर्ष पहले शुरू हुए आपरेशन कायाकल्प ने आज स्कूलों की तस्वीर बदल दी है। कायाकल्प का ही नतीजा है कि आज परिषदीय स्कूल निजी स्कूलों को टक्कर दे रहे हैं।
बख्शी का तालाब विकास खंड क्षेत्र में वर्ष 2017 से पहले प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में बुनियादी सुविधाएं नदारद रहती थीं। शिक्षक से लेकर बच्चों तक न तो शुद्ध पेयजल सुलभ रहता था और न ही टायलेट और शौचालय ही दुरुस्त रहते थे। छुट्टी के बाद परिषदीय स्कूल अराजकतत्वों के लिए अड्डे बन जाते थे। मगर सरकारी प्रयासों का ही नतीजा है कि मिशन कायाकल्प के तहत परिषदीय विद्यालयों को निजी विद्यालयों की तर्ज पर तैयार किया गया। 19 ¨बदुओं के पैरामीटर के आधार पर विद्यालयों का कायाकल्प कराया गया है। सुरक्षा के लिहाज से विद्यालयों की बाउंड्रीवाल का निर्माण कराया गया। विद्यालयों को विद्युत कनेक्शन दिये गये। कक्षों में पंखे लगाए गए। रंग रोगन के साथ साथ टूटी फर्श की जगह इटैलियन टाइल्स लगाकर विद्यालयों को चमकाया गया है। मल्लाहन खेड़ा, सोनवा, कठवारा, सिंहामऊ, राजापुर, सरैंया बाजार विद्यालय इसके उदाहरण हैं।
सोनवा प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापक पूनम संत ने बताया उनके विद्यालय में वर्ष 2018 में सुधार कार्य कराया गया है। कक्षाओं में टाइल्स लगाई गई अच्छा शौचालय बनाया गया। पेयजल की सुलभता के लिये सबमरसिबल पंप से पानी की टंकी भरी जाती है। अब विद्यालय अभिभावकों को भी भाने लगा है। सोनवा गांव के विष्णु प्रजापति कहते हैं कोरोना काल में जब विद्यालय बंद हुए तो बच्चों को आनलाइन पढ़ाई कराई गई। विद्यालयों की सूरत बदलने से अब शिक्षक भी बच्चों की पढ़ाई का पूरा ध्यान रखते हैं। इसी गांव के रामलखन कहते हैं, परिषदीय शिक्षा व्यवस्था में बहुत परिवर्तन हुआ है। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है। मध्याह्न् भोजन और जूता मोजा, यूनिफार्म, स्वेटर की धनराशि सीधे अभिभावकों के खाते में भेज कर सरकार की ओर से पारदर्शी पहल की गई है।
आपरेशन कायाकल्प से संवारा गया पूर्व माध्यमिक विद्यालय कल्याणपुर बख्शी का तालाब व प्राथमिक विद्यालय किशुनपुर के एक कक्ष में बना बच्चों के लिए पुस्तकालय ’ जागरण
बदल रही तस्वीर
कल्यानपुर गांव के रहने वाले अभिभावक भानू कहते हैं, परिषदीय विद्यालयों का कायाकल्प हो जाने से तस्वीर बदल गई है। अपने गांव के विद्यालय के संबंध में जब किसी से बात करते हैं तो गर्व महसूस होता है। इसी गांव के दिवाकर वर्मा ने बताया पहले से अब परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा का स्तर में बहुत सुधार हुआ है। गुणवत्ता भी अच्छी हो रही है। रामपुर बेहड़ा निवासी प्रताप ने बताया उनके गांव के बाहर बने प्राथमिक विद्यालय में बाउंड्रीवाल नहीं थी। छुट्टी होने के बाद अराजकतत्व वहां बैठकर जुआ खेलते और शराब पीते थे। बाउंड्रीवाल बन जाने के बाद विद्यालय में बच्चे भी सुरक्षित रहते हैं।
90 प्रतिशत विद्यालयों का हो चुका है कायाकल्प
बीकेटी के खंड शिक्षाधिकारी सतीश त्रिपाठी ने बताया विकास खंड स्तर पर प्राथमिक और पूर्व माध्यम कुल 269 विद्यालय हैं। जिसमें 27 कंपोजिट हैं। 19 ¨बदुओं के पैरामीटर पर औसतन 90 प्रतिशत विद्यालयों का कायाकल्प हो चुका है।