गोरखपुर
मतदान के दिन बूथ के अंदर मोबाइल से फोटो लेना प्रतिबंधित रहेगा। फोन से यदि ईवीएम के साथ सेल्फी ली और उसे इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट किया तो मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। ऐसे लोगों को जेल भी भेजा जा सकता है।
इंटरनेट मीडिया पर भी रहेगी नजर, पोस्ट किया तो हो
पहले चरण में हुए मतदान के बाद कुछ स्थानों पर ईवीएम के साथ सेल्फी लेकर लोगों ने इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट किया था। इसके बाद निर्वाचन आयोग ने सख्ती बरतते हुए मोबाइल का प्रयोग न करने की हिदायत दी है। मतदान अधिकारी मतदान के दौरान फोटो खींचने से मना करेंगे। इसके बावजूद यदि कोई नहीं मानता है तो उसपर विधिक कार्रवाई की जाएगी। जिला निर्वाचन अधिकारी विजय किरन आनंद ने सभी मजिस्ट्रेट को निर्देश दिया है कि मतदान के दौरान इस बात पर विशेष नजर रखी जाए कि कोई मतदान के दौरान फोटो न लेने पाए। इस तरह से पकड़े जाने पर छह माह तक की जेल भी हो सकती है। जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि ईवीएम के साथ सेल्फी लेना और उसे इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट करना गलत है। मतदाता गोपनीय रूप से मतदान करें। सभी लोग वोट देने जरूर जाएं।
चुनाव की तैयारियों में जुटे मुख्यालय गोरखपुर के छह सौ रेलकर्मी
सोमवार, अपराह्न 2.00 बजे के आसपास प्रबंधन विभाग के दफ्तर में कार्यालय अधीक्षक चुनाव की नई निर्देशिका में डूबे हुए थे। नाम लेते ही गहरी सांस लेकर अपनी व्यस्तता बताने लगे। आजकल फाइलों के अलावा चुनाव को लेकर भी अलग से तैयारी करनी पड़ रही है। समय मिला है तो कायदे-कानून याद करने लगा हूं। चुनाव के दिन जरूरत पड़ने पर काम आएगा। मुख्यालय गोरखपुर स्थित प्रबंधन ही नहीं लेखा, कार्मिक, वाणिज्य, इंजीनियरिंग, यांत्रिक और परिचालन के अलावा कारखानों में विभिन्न पदों पर तैनात लगभग 600 रेलकर्मी लोकतंत्र के इस महापर्व में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करने की तैयारी में जुट गए हैं। जब भी मौका मिल रहा है, निर्देशिका लेकर बैठ जा रहे हैं। कार्यालयों में चुनावी चर्चा तो आम हो गई है। जिन कर्मचारियों की ड्यूटी लगी है, अधिकतर ने पहले चरण का प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया है। वे दूसरे चरण के प्रशिक्षण की तैयारी में जुटे हैं। रेलकर्मी अपने मतदान को लेकर भी जागरूक हैं। जिला प्रशासन भी इन कर्मचारियों के समुचित प्रशिक्षण और मतदान को लेकर तैयारियों में जुटा हुआ है।
प्रबंधन, लेखा, कार्मिक, इंजीनियरिंग व परिचालन आदि विभागों के कर्मियों की लगी
ड्यूटी में लगे रेलकर्मी ही नहीं कार्यालयों में कार्य करने वाले अन्य कर्मचारी भी चुनाव को लेकर उत्साहित हैं। शहर, चौराहा, दुकान, प्रतिष्ठान, घर और रसाेई ही नहीं रेलवे के दफ्तरों का माहौल भी चुनावी हो गया है। मध्यावकाश होते ही रेलकर्मी चाय और नाश्ते के साथ चुनावी चर्चा में जुट जा रहे। कुछ बेरोजगारी और महंगाई को मुद्दा बना रहे हैं तो कई कार्यालयों में बढ़ पारदर्शिता और मिलने वाली आनलाइन सुविधाओं पर सरकार की पीठ थपथपा रहे हैं। कर्मचारी संगठनों और यूनियनों के कार्यालय भी इससे अछूते नहीं रह गए हैं। कार्यालयों में बैठे पदाधिकारी रेलवे के चुनाव को भूल विधानसभा चुनाव का समीकरण बैठा रहे हैं। सभी के अपने-अपने मुद्दे हैं। कोई लहर पर चर्चा कर रहा तो कुछ प्रत्याशियों पर अपनी राय दे रहा। लेकिन अंत में लोकतंत्र की मजबूती को ही प्रमुखता मिल रही है।