लखनऊ:
चुनाव में 70 के करीब चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की ड्यूटी मतदान अधिकारी प्रथम में लग गई है। यह पद तृतीय श्रेणी के वरिष्ठ कार्मिकों को दिया जाता है। वजह यह है कि मतदान अधिकारी प्रथम का कार्य वोटर लिस्ट से मिलान करना होता है। इसके अलावा भी मतदान प्रक्रिया में उसको कई अन्य महत्वपूर्ण लिखापढ़ी के कार्य दिए जाते हैं। सूचना मिलने के बाद ऐसे कर्मचारियों को मतदान अधिकारी तृतीय के पद पर तैनात करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
चुनाव के लिए कर्मचारियों की तैनाती विभागीय स्तर पर की जाती है। चुनाव आयोग के सॉफ्टवेयर के जरिए संबंधित विभाग के प्रमुख कर्मचारियों का ब्योरा भरते हैं। इसमें पद, वेतनमान और योग्यता के आधार पर पीठासीन अधिकारी, मतदान अधिकारी प्रथम, मतदान अधिकारी द्वितीय और मतदान अधिकारी तृतीय का नाम भरा जाता है। लखनऊ विकास प्राधिकरण में दर्जनों कर्मचारी ऐसे हैं जो चतुर्थ श्रेणी के हैं। कोई माली के पद पर है तो किसी की तैनाती किचेन में है। कोई कूलर में पानी भरने का काम करता है, तो कोई अधिकारी की ड्यूटी में तैनात है।
जिला निर्वाचन अधिकारी की टीम को यह गड़बड़ी पहले ही पता लग गई थी। एडीएम वित्त एवं राजस्व बिपिन मिश्रा ने देखा कि एक विभाग से विपणन सहायक की ड्यूटी लगी हुई है जबकि यह पद चतुर्थ श्रेणी का है। ऐसे में अन्य विभागों की सूची पर भी ध्यान दिया गया। एडीएम ने बताया कि पहले चरण के रैंडेमाइजेशन में 4473 के मुकाबले 5532 पीठासीन और इतनी ही संख्या में मतदान अधिकारी प्रथम की तैनाती हो चुकी है। चतुर्थ श्रेणी 7754 कर्मचारी हैं। इनमें से ही मतदान के दिन बूथ पर भेजे जाएंगे। जिनकी शिकायत आ रही है उनमें सुधार किया जा रहा है। कई विभागों ने पहले ही बता दिया जिनके कर्मचारियों को सही पद पर तैनाती दी जा चुकी है।
चुनाव के लिए पर्याप्त कर्मचारी
जिला निर्वाचन अधिकारी के अनुसार कर्मचारियों की कमी नहीं है। 4062 बूथों के लिए कुल 17 हजार 892 कर्मचारी तैनात हैं। यह कुल कर्मचारियों का 110 फीसदी हैं। अभी 24 हजार 59 का डेटा और है।