गोरखपुर: कोविड से अपनों को खो चुके 314 परिवारीजनों को जल्द ही 50-50 हजार रुपये की सीएम सहायता राशि उनके खाते में भेज दी जाएगी। इसके लिए कोविड कमेटी ने अपनी मंजूरी दे दी है। अगले एक सप्ताह के अंदर सभी परिजनों के खाते में पैसा स्थानांतरित हो जाएगा। इसके पूर्व 848 लोगों को 4.2 करोड़ की सहायता राशि भेजी जा चुकी है। जिलाधिकारी ने बताया कि जितने भी आवेदन हैं उसकी जांच कराकर भुगतान कराया जा रहा है।
सरकारी कागजों में जिले में कोरोना महामारी से मरने वालों की संख्या 848 दर्ज है लेकिन 50 हजार रुपये की आर्थिक मदद के लिए अब तक 1900 से अधिक परिजनों ने आवेदन किया है। इस तरह जिले में कोरोना महामारी से मरने वालों की संख्या दर्ज नामों से दोगुने से अधिक हो गई है। प्रशासन इन लोगों का सत्यापन कराकर भुगतान कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश सरकार की ओर से कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को 50-50 हजार की आर्थिक मदद दी जा रही है। इसके लिए प्रशासन की ओर से आवेदन मांगे गए हैं। अब तक सरकारी आंकड़ों में दर्ज 848 नामों के अलावा 984 लोगों के परिजनों की तरफ से आर्थिक मदद के लिए आवेदन किया जा चुका है। प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक करीब 500 आवेदन अब भी पाइपलाइन में हैं। इनका सत्यापन आदि कराया जा रहा है।
अलग से जुड़ने वाले नामों के लिए भी पांच करोड़
शासन को भी इसका अंदेशा था कि कोरोना महामारी से मरने वालों की संख्या दर्ज आंकड़ों से अधिक हो सकती है। यही वजह है कि सूची में दर्ज 848 लोगों के परिवार को 50-50 हजार रुपये की आर्थिक मदद देने के लिए 4.24 करोड़ रुपये तो उपलब्ध कराए ही गए हैं। अलग से जुड़ने वाले नामों के लिए भी पांच करोड़ रुपये दिए गए हैं। कोरोना काल में बहुत से ऐसे लोग थे जो संक्रमित होकर घर पर ही जान गंवा बैठे। बहुत से ऐसे हैं जिनकी एंटीजन जांच ही हो पाई थी और उनकी हालत अचानक खराब होने से वे गुजर गए। ऐसे केसों की जानकारी स्वास्थ्य विभाग या प्रशासन तक नहीं पहुंच सकी, जिस वजह से सरकारी कागजों में उनके नाम कोरोना से मरने वालों की सूची में नहीं दर्ज हो सके।
बच्चों के काम आ रहा है पैसा
जिन्हें यह सहायता राशि मिली है उनमें चरगांवा के रहने वाले दीनानाथ यादव बताते हैं कि 50 हजार रुपये की सहायता राशि की जानकारी उन्हें अखबार के जरिए मिली। वह कहीं सम्पर्क करते इसके पहले उन्हें आपदा कार्यालय से फोन आ गया। बताया गया कि फार्म भर दें। फार्म भरने के डेढ़ महीने के बाद खाते में पैसा आ गया। इस सहायता राशि से जिन बच्चों ने अपने पिता को खो दिया उनके पढ़ाई में मदद मिलेगी। मोहनापुर की रहने वानी मंदाकिनी वर्मा बताती हैं कि उनके पति की मौत कोरोना से हो गई थी। उनके लिए एक-एक रुपया भी महत्वपूर्ण है, ऐसे में एकमुश्त 50 हजार रुपये की सहायता राशि से काफी सहूलियत मिली।