नुकसान के एवज में जब्त की जा सकती है ग्रेच्युटी
नई दिल्ली। उच्च न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा है कि कोई भी नियोक्ता अपने किसी बर्खास्त कर्मचारी की ग्रेच्युटी को जब्त कर सकता है, यदि उसके किसी काम, चूक या लापरवाही की वजह से नियोक्ता को कोई नुकसान या संपत्ति को क्षति पहुंचती है।
हालांकि, उच्च न्यायालय ने यह साफ कर दिया है कि इस तरह की जब्ती सिर्फ नियोक्ता को हुए नुकसान की सीमा तक हो सकती है। नियोक्ता इससे आगे की वसूली नहीं कर सकता। जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने अपने फैसले में कहा है कि ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम की धारा 4 में यह प्रावधान है कि प्रत्येक कर्मचारी को उसके रोजगार की समाप्ति पर नियोक्ता ग्रेच्युटी का भुगतान करेगा। यह भुगतान उस सूरत में किया जाएगा, यदि कर्मचारी ने सेवानिवृत्ति या इस्तीफा या दुर्घटना या बीमारी के कारण मृत्यु या विकलांगता के कारण नौकरी छोड़ने से पहले कम से कम पांच साल तक निरंतर सेवा की है।
दो याचिकाओं का निपटारा : अदालत ने कहा कि अधिनियम की धारा 4 (6)(ए) में प्रावधान है कि किसी कर्मचारी की सेवाओं को निर्दिष्ट कारणों से समाप्त किया जा सकता है।