देश के 115 आकांक्षी जिलों के लिए जारी जनवरी की रैंकिंग में सोनभद्र को शिक्षा क्षेत्र में बेहतरीन कार्य के लिए तीसरी रैंक मिली है। प्रदेश स्तर पर यह रैंक पहली है। विद्यालयों में कायाकल्प और नामांकन के लिए योजनाबद्ध ढंग से कार्य करने के चलते यह उपलब्धि हासिल हुई है।
विकास के विभिन्न मापदंडों पर पिछड़े देश के 115 जिलों को नीति आयोग ने गोद लिया है। आयोग की निगरानी में वहां बुनियादी सुविधाओं की बेहतरी के लिए काम चल रहा है। सोनभद्र, चंदौली, सिद्धार्थनगर, बहराइच, बलरामपुर, श्रावस्ती समेत यूपी के आठ जिले इसमें शामिल है। वर्ष 2018 से शुरू हुई योजना के तहत शिक्षा की बेसलाइन रैंकिंग में सोनभद्र 91वें और प्रदेश में चौथे स्थान पर था। योजनाबद्ध कार्य करते हुए बेसलाइन 35.04 से 63.4 प्रतिशत अंक हासिल कर चुका है। इस आधार पर जिले को देश स्तर पर तीसरी रैंक मिली है। नंबर वन पर बिहार का मुजफ्फरपुर, झारखंड का चतरा है।
सोनभद्र को झारखंड के खुंटी के साथ संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर है। इस श्रेणी में यूपी के अन्य जिले काफी नीचे हैं। श्रावस्ती को 14वीं, जबकि चंदौली, चित्रकूट, सिद्धार्थनगर सहित अन्य छह जिले संयुक्त रूप से 20वें रैंक पर है। बीएसए हरिवंश कुमार ने बताया कि बेसलाइन रैंकिंग में सुधार के लिए ऑपरेशन स्कूल कायाकल्प के तहत सभी विद्यालयों में शौचालय, बिजली, पेयजल जैसी अन्य आधारभूत सुविधाओं की व्यवस्था कराई गई। डीएमएफ और कंपनियों के सीएसआर से डेस्क-बेंच मुहैया कराया है। जिले के करीब 360 विद्यालयों में स्मार्ट डिजिटल क्लासरूम की स्थापना की जा चुकी है। 1264 विद्यालयों में छात्र-शिक्षक अनुपात संतृप्त किया गया है। शिक्षा क्षेत्र के विकास के लिए सीएसआर से 17.64 और डीएमएफ से करीब 20 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। सतत अभियान के कारण स्कूलों में नामांकन की स्थिति भी काफी सुधरी है। कोरोना से पूर्व वर्ष 2020-21 में 2.59 लाख बच्चे थे, जबकि वर्तमान सत्र में यह संख्या 2.7 लाख पहुंच चुकी है