किसी भी परीक्षा का पेपर लीक होना न सिर्फ आयोजन कराने वाली संस्था को संदेह के घेरे में लाता है, बल्कि मेधावी छात्रों में भी हताशा का भाव लाता है। उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपीटीईटी) 2021 का प्रश्नपत्र लीक होना भी एक बड़ी घटना थी, जिसमें अभ्यर्थियों को दूरदराज के केंद्रों तक पहुंचने के बाद मायूस लौटना पड़ा था। इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार किया गया था और उनसे हुई पूछताछ के आधार पर जो तथ्य सामने आए हैं,
वह चौंकाने वाले हैं। यूपीटीईटी परीक्षा का प्रश्नपत्र उस व्यक्ति ने 40 लाख रुपये में बेचा था जो मध्यप्रदेश के चर्चित व्यापम भर्ती घोटाले का मास्टर माइंड था। यह तथ्य इसलिए गंभीर है क्योंकि व्यापम घोटाले की जड़ें बहुत गहरी थीं और इसे सुनियोजित ढंग से अंजाम दिया गया था। यूपीटीईटी का पेपर लीक होने में व्यापम घोटाले के अभियुक्तों का शामिल होना एक बड़े नेटवर्क के सक्रिय होने की ओर भी इशारा करता है और यह आशंका बलवती हुई है कि कहीं अन्य परीक्षाएं तो इस गिरोह के निशाने पर नहीं। यूपीटीईटी प्रदेश की सबसे बड़ी अर्हता परीक्षा है और सरकारी विद्यालयों में प्राथमिक शिक्षक बनने के लिए इसे पास करना जरूरी है।
इस अर्हता परीक्षा में लगभग पंद्रह लाख अभ्यर्थी शामिल होते हैं और इसी वजह से प्रश्नपत्र आउट कराने वाले गिरोहों के निशाने पर यह परीक्षा भी होती है। यह भी बड़ी गंभीर बात है कि प्रश्नपत्र आउट होने के बाद हर बार इसमें शामिल लोगों को पकड़ा जाता है, लगभग हर साल ही साल्वर गिरोह भी पकड़े जाते हैं लेकिन अगली परीक्षा में फिर नया गिरोह सामने आ जाता है। यह तथ्य भी उजागर हो चुका है कि इस गिरोह का नेटवर्क कई राज्यों में फैला है। उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा के साल्वर गिरोहों के परस्पर कनेक्शन की बात सामने आ चुकी है। अब मध्य प्रदेश भी इसमें जुड़ा है तो आरोपितों से पूछताछ कर इस नेटवर्क की तह में जाना चाहिए। पूरा नेटवर्क ध्वस्त होने के बाद ही भर्ती परीक्षाओं की शुचिता बरकरार रह सकेगी और मेधावियों के साथ न्याय हो सकेगा।