नया शैक्षिक सत्र पहली अप्रैल से शुरू होना है, लेकिन बच्चों को नई किताबें जल्द नहीं मिल सकेंगी। अब तक किताबें छपने की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है, इसलिए बच्चों को पुरानी किताबों से ही काम चलाना पड़ेगा। बेसिक शिक्षा विभाग का पुस्तक वितरण में देरी नई नहीं है, लगभग हर वर्ष विलंब होता रहा है, सिर्फ उनकी वजहें अलग जरूर हैं। सत्र नियमित और छात्र-छात्राओं की संख्या अनुमानित होने के बाद भी पढ़ाई कराने की तैयारियां दुरुस्त नहीं हैं।
प्रदेश के बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले एक करोड़ 85 लाख छात्र-छात्राओं को निश्शुल्क पाठ्य पुस्तकें पिछले वर्ष मुहैया कराई गई थीं। इस वर्ष भी संख्या इसी के इर्द-गिर्द रहने की उम्मीद है। सूबे में जनवरी से विधानसभा चुनाव की आचार संहिता प्रभावी होने की वजह से विभाग किताबों का प्रबंधन समय पर नहीं कर सका। अभी तक किताबों की छपाई का प्रकरण शासन में लंबित है। विभाग का दावा है कि टेंडर दिसंबर में ही किया गया था लेकिन, कमेटियों की बैठक में अनुमाेदन की प्रक्रिया से लटक गया। अब कक्षा एक से आठ तक के बच्चों के लिए करीब 12 करोड़ पुस्तकों की छपाई होने में अभी समय लगना तय है।
शिक्षा निदेशक बेसिक डा. सर्वेंद्र विक्रम बहादुर सिंह ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों को आदेश दिया है कि अपरिहार्य कारणों से नई पुस्तकों की छपाई में देरी हो रही है। इसलिए अंतरिम व्यवस्था के तहत किताबों का प्रबंध किया जाए। 2021-22 में पढ़ रहे जो छात्र छात्राएं अगली कक्षा में पहुंच गए हैं उनकी पुरानी किताबें जमा करा लिया जाए ताकि सत्र शुरू होने पर नए छात्र छात्राओं को दी जा सकें। नवीन पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध हो जाने पर शैक्षिक सत्र 2022-23 के छात्र-छात्राओं काे उपलब्ध कराई गई पुरानी पाठ्य पुस्तकें वापस ली जाएं। वहीं, बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे भी हैं जिन्होंने पुस्तकों को क्षतिग्रस्त कर दिया है। शिक्षकों के लिए पुरानी किताबों का प्रबंधन आसान नहीं होगा।