प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का न्याय को स्थानीय भाषा में उपलब्ध कराने पर खासा जोर है। उनका मानना है कि बड़ी आबादी न्यायिक प्रक्रिया और फैसलों को नहीं समझ पाती, इसलिए न्याय उसकी भाषा में होना चाहिए। विधि साहित्य प्रकाशन प्रधानमंत्री की इस इच्छा को पूरा करने में जुट गया है। उसने हिंदी में अनुवाद किए गए 50 हजार से अधिक फैसलों को सर्व सुलभ बनाने के लिए सर्च इंजन और एप बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। कुछ माह में ही सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाई कोर्ट के फैसले चंद की-वर्ड पर आपके सामने होंगे।
विधि व न्याय मंत्रलय के तहत कार्य करने वाले विधि साहित्य प्रकाशन की स्थापना 1968 में हुई थी। इसका काम सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट द्वारा दिए फैसलों को हिंदी में अनुवाद करना है। अब तक इसके द्वारा 50 हजार से अधिक फैसले अनुवादित कर दिए गए हैं। अभी वह एक हजार पृष्ठों वाले रामजन्म भूमि विवाद पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हिंदी अनुवाद कर रहा है। इंटरनेट पर किसी फैसले और जजों की टिप्पणी की तलाशना काफी जटिल और समय वाली प्रक्रिया है। अगर ये सर्च इंजन में कुछ की-वर्ड डालते या एप पर ही जरूरत के फैसले उपलब्ध हो जाए तो यह सबकी पहुंच में आ जाएगी। इसलिए यह कोशिशें हो रही है। प्रकाशन के मुख्य संपादक (निदेशक) कमलाकांत ने बताया कि साफ्टवेयर कंपनियों से निविदा मंगाई जा रही है। सेंटर फार डेवलपमेंट आफ एडवांस कम्प्यूटिंग (सीडीएसी) द्वारा प्रस्तुति दे दी गई है। नेशनल इंफरेमेटिक्स सेंटर और इंफोसिस से भी प्रस्तुति मांगी जा रही है। यह प्रक्रिया काफी बड़ी है, क्योंकि अभी भी तकरीबन 40 हजार से अधिक फैसलों के पीडीएफ फाइल तैयार करने होंगे।