प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 69000 सहायक शिक्षक भर्ती में आरक्षित वर्ग के 6800 अभ्यर्थियों को नियुक्ति दिए जाने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। कोर्ट के इस आदेश से सरकार को तगड़ा झटका लगा है। सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा है कि भर्ती में 69000 पदों के अतिरिक्त किसी भी पद पर नियुक्ति न की जाए और गैर विज्ञापित रिक्त पदों को किसी भी दशा में न भरा जाए।
यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव जोशी ने आलोक सिंह व अन्य की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षकारों को 18 जुलाई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश भी दिया है।
अभ्यर्थियों का आरोप है कि इस भर्ती में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत की जगह मात्र 3.80 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। इसी प्रकार एससी वर्ग को 21 प्रतिशत की जगह सिर्फ 16.2 प्रतिशत आरक्षण दिया गया, जो पूरी तरह गलत है। यह भी आरोप है कि इस भर्ती प्रक्रिया में लगभग 19000 सीटों पर आरक्षण देने में घोटाला हुआ है, सरकार ने 19000 सीटों के सापेक्ष मात्र 6800 सीटें ही दी हैं। याचिका में कहा गया है कि भर्ती प्रक्रिया में सरकार की ओर से बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 और आरक्षण नियमावली 1994 का उल्लंघन किया गया है।
कोर्ट ने कहा कि सरकार विज्ञापन जारी किए बगैर एक भी सीट पर भर्ती नहीं कर सकती। इस भर्ती का मूल विज्ञापन 69000 सहायक अध्यापक भर्ती का है। ऐसी स्थिति में विज्ञापित पदों के अलावा एक भी सीट पर नियुक्ति नहीं की जा सकती।
लखनऊ बेंच ने भी लगाई थी रोक
इससे पूर्व हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति राजन राय ने सरकार को इस भर्ती पर पुनर्विचार करने का आदेश दिया है। साथ ही अगले आदेश तक कोई भी भर्ती नहीं करने का भी निर्देश है।
सरकार को लगातार दूसरी बार हाई कोर्ट से लगा झटका कोर्ट ने कहा-गैर विज्ञापित रिक्त पदों को न भरा जाए
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