प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक भर्ती विज्ञापन जारी करने की मांग को लेकर एक ही दिन में दो लाख से अधिक ट्वीट किए गए। प्रतियोगी छात्रों ने रविवार से सोशल मीडिया पर अभियान शुरू किया है। उन्हें चार साल से नई भर्ती शुरू होने का इंतजार है। मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री और बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों को टैग करके मुद्दे को उठाया जा रहा है।
शिक्षक भर्ती अभियान से जुड़े पंकज मिश्रा बताते हैं कि बेसिक में करीब चार सालों में कोई भी भर्ती नहीं आई, इस बीच करीब साल दर साल करीब दो लाख डीएलएड प्रशिक्षित तैयार होते हैं। टेट और सीटेट बेरोजगारों की संख्या बढ़ती ही जा रही
योगी सरकार ने ही सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर स्वीकार किया था कि बेसिक स्कूलों में 51 हजार 112 शिक्षकों के पद रिक्त हैं। इस पर भर्तियां करेंगे। विधानसभा चुनाव से पूर्व 16,200 पदों पर भर्ती जारी करने की बात भी की गई थी। प्रतियोगियों की मांग है कि 51 हजार 112 और 16 हजार 200 पदों को जोड़कर एक भर्ती का विज्ञापन जल्द से जल्द जारी किया जाए।
छात्र संख्या बढ़ाने पर जोर लेकिन शिक्षकों की भर्ती में टालमटोल
प्रतियोगी छात्र आलोक मिश्र बिलौरा ने कहा कि प्रदेश सरकार परिषदीय स्कूलों में नामांकन बढ़ाने पर जोर दे रही है। लेकिन इन बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों की भर्ती निकालने में टालमटोल कर रही है। प्रदेश में पहले से ही छात्रों की संख्या के अनुपात में शिक्षकों की संख्या बहुत कम हैं। ऐसे में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ने पर शिक्षकों की और कमी हो जाएगी।
इस असर पठन-पाठन के स्तर पर पड़ेगा। ऐसे में सरकार को तत्काल प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती शुरू करना चाहिए। बड़ी संख्या में प्रशिक्षित अभ्यर्थी बीते कई सालों से शिक्षक भर्ती की मांग कर रहे हैं। प्रयागराज से लेकर लखनऊ तक सड़कों पर संघर्ष किया लेकिन अभी तक सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में प्रतियोगी छात्र मानसिक अवसाद से गुजर रहे हैं।