घर वापसी की उम्मीदमें दो साल से लड़ रहे
फिरोजाबाद के रोहित कुमार का चयन 68500 में सोनभद्र में हुआ था। हालांकि 69000 भर्ती में उनका चयन अपने गृह जनपद फिरोजाबाद में हो गया। इसी प्रकार गाजियाबाद की रेशमा बानो का चयन 68500 में श्रावस्ती में हुआ था। लेकिन 69000 में रामपुर में हुआ है। वह रामपुर आना चाहती हैं लेकिन एनओसी का पेच फंसा है। इन शिक्षकों ने जून 2020 में हाईकोर्ट में याचिका कर दी थी और तब से कानूनी लड़ाई चल रही है।
प्रयागराज प्रमुख संवाददाता। घर वापसी के लिए दोबारा शिक्षक पद पर चयन के बाद एनओसी का पेच फंस गया। परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 68500 भर्ती में चयनित सैकड़ों अभ्यर्थियों ने 69000 भर्ती में भी आवेदन किया था। 68500 भर्ती में यह शर्त थी कि एक बार किसी जिले में चयनित शिक्षक को दोबारा किसी जिले में तबादले का अवसर नहीं मिलेगा।
लिहाजा 68500 में चयन के बावजूद सैकड़ों शिक्षकों ने 69000 में आवेदन किया और चुन लिए गए। लेकिन काउंसिलिंग के लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने उन्हें अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) देने से यह कहते हुए मना कर दिया कि समान ग्रेड-पे का पद है। इसके खिलाफ पीड़ित शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका कर दी। रोहित कुमार और 56 अन्य की याचिका पर हाईकोर्ट ने एनओसी न देने के चार दिसंबर 2020 के आदेश को मनमाना और भेदभावपूर्ण करार देते हुए 29 अक्तूबर 2021 को ऐसे सभी अभ्यर्थियों को एनओसी जारी करने के आदेश दिए थे। लेकिन सरकार ने इसके खिलाफ स्पेशल अपील दायर कर दी। जबकि पीड़ित शिक्षकों ने आदेश न मानने पर सरकार के खिलाफ अवमानना याचिका कर दी। स्पेशल अपील और अवमानना याचिकाएं दोनों इलाहाबाद हाईकोर्ट में विचाराधीन हैं।
पिछले दिनों शासन स्तर पर हुई बैठक में यह मुद्दा प्रमुखता से उठा था। शासन चयनितों को एनओसी देने के पक्ष में नहीं है। बैठक में तय हुआ कि सरकार की ओर से दाखिल अपील पर प्रभावी पैरवी की जाए।