इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि जिला पंचायत को ठेके की शर्तें तय करने का पूरा अधिकार है। साथ ही श्रम विभाग में पंजीकृत फर्म को ही ठेका देने की शर्त पूरी न करने वाली फर्म की याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एमके गुप्ता एवं न्यायमूर्ति दिनेश पाठक की खंडपीठ ने ओम कंस्ट्रक्शन के एकमात्र प्रोपराइटर की याचिका पर दिया है। याची का कहना था कि वह फर्म लोक निर्माण विभाग मिर्जापुर में पंजीकृत है। याची ने जिला पंचायत के कई ठेकों की नीलामी में हिस्सा लिया। उसकी दो बोली यह कहते हुए निरस्त कर दी गई कि वह श्रम विभाग में पंजीकृत नहीं है। उसे निविदा शर्तें पूरी न करने के कारण अयोग्य करार दिया गया। याचिका में 4/5 जनवरी 2022 के आदेश व 7 जनवरी 2022 को विपक्षियों को निविदा देने को यह कहते हुए चुनौती दी कि शर्तें थोपना उसके अधिकार का उल्लंघन है। उसकी बोली स्वीकार की जाए।
जिला पंचायत के अधिवक्ता वीके चंदेल का कहना था कि निविदा शर्तें याची को मालूम थीं कि श्रम विभाग में पंजीकृत होना जरूरी है। इसके बावजूद उसने निर्धारित योग्यता न होने पर भी नीलामी में हिस्सा लिया। वैसे भी ठेका जनवरी माह में ही दिया जा चुका है। कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।