उत्तर प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने की कवायद के तहत जल्द ही प्राइमरी स्कूलों को आधुनिक तकनीक से लैस किया जाएगा। इन स्कूलों में स्मार्ट क्लास और रिमोट लर्निंग सस्टिम से पढ़ाई की योजना पर तेजी से काम हो रहा है। आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को बताया कि पिछले पांच सालों में प्राइमरी स्कूलों की न सिर्फ दशा और दिशा बदली है, बल्कि स्कूलों में संसाधनों और सुविधाओं में भी इजाफा हुआ है। इसी कारण प्राइमरी स्कूलों में बच्चों का नामांकन डेढ़ करोड़ से साल दर साल बढ़ते हुए दो करोड़ के पास पहुंच गया है और अब बच्चों को शुरूआत में ही तकनीक से जोड़ने के लिए स्कूलों में स्मार्ट क्लास होंगे और रिमोट लर्निंग सस्टिम से पढ़ाई होगी।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि बेसिक शिक्षा के महत्व को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बजट वित्त वर्ष 2016-17 में 55,176 करोड़ रुपये से बढ़ाकर वित्त वर्ष 2021-22 में 63,455 करोड़ रुपये तक पहुंचाया है। इसके अलावा निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से 1,22,054 शिक्षकों की भर्ती की है। 2019 में मिशन प्रेरणा के रूप में लर्निंग आउटकम आधारित शिक्षण प्रक्रिया को अपनाया गया है और सभी स्कूलों में शिक्षण के लिए एनसीईआरटी गणित किट की उपलब्ध कराई गई है।
सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री खुद प्राइमरी स्कूलों में जाकर शिक्षा की गुणवत्ता परख रहे हैं। उन्होंने चार अप्रैल को श्रावस्ती जिले में शैक्षिक सत्र 2022-23 में परिषदीय स्कूलों में बच्चों का नामांकन बढ़ाने के उद्देश्य से स्कूल चलो अभियान की शुरुआत की। प्राइमरी स्कूलों में बच्चों को तकनीकी से जोड़ने के लिए डिजिटल शिक्षा पर भी फोकस किया जा रहा है। साथ ही स्कूलों में स्मार्ट क्लास और रिमोट लर्निंग सिस्टम से भी पढ़ाई कराने पर विचार किया जा रहा है, ताकि शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित न हो और प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे भी कांवेंट स्कूलों के बच्चों को टक्कर दे सकें।