परिषदीय विद्यालयों में बच्चों के मिड डे मील पर अब ‘मां’ की नजर रहेगी, जो प्रतिदिन खाने की गुणवत्ता परखेगी। इससे मिड डे मील में होने वाली हेराफेरी पर लगाम लगाई जा सकेगी। बच्चों को भी गुणवत्तापूर्ण भोजन मिलेगा। सरकार ने इसे मां अभियान का नाम दिया है।
छह सदस्यीय महिला समूह में प्रतिदिन एक महिला विद्यालय जाकर मिड डे मील को चखेगी, जिसके लिए बाकायदा रोस्टर बनाया जाएगा। भोजन पकाने और परोसने की विधि का अवलोकन कर रिपोर्ट संबंधित खंड शिक्षा अधिकारी को दी जाएगी। बीएसए राकेश सिंह द्वारा पिछले दिनों कार्यालय में ली गई बैठक में गर्मी की छुट्टियों के बाद स्कूलों में इसे लागू करने को लेकर निर्देश भी दिए गए थे।
मध्याह्न भोजन योजना के तहत परिषदीय विद्यालयों में मिड डे मील की गुणवत्ता को देखने के लिए हर विद्यालय में छह सदस्यीय महिला समूहों का गठन किया जाएगा। समुदाय की भागीदारी बढ़ाने के स्कूल में अध्ययनरत बच्चों के अभिभावकों के चयन का प्रावधान किया गया है। इन बिंदुओं पर रहेगी नजर
- पके भोजन की गुणवत्ता देखना
- छात्र को मानक अनुसार भोजन की मात्रा मिल रही है या नहीं
- रसोई और बर्तनों की साफ-सफाई
- दूध और फल वितरित करने का समय
- निर्धारित मेन्यू के मुताबिक भोजन दिया जा रहा या नहीं
- रसोइए का मानदेय समय से दिया जा रहा है या नहीं
- भोजन सामग्री समय से उपलब्ध कराई जा रही या नहीं