बेसिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग में समूह ग के तबादलों को लेकर कर्मचारियों व शासन के बीच तकरार लगातार बनी हुई है। महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने आदेश के बावजूद कार्यमुक्त या कार्यभार ग्रहण करने का प्रत्यावेदन न देने वालों को शासन के आदेशों की अवहेलना का दोषी मानते हुए अग्रिम आदेश तक वेतन रोकने के आदेश दे दिए हैं। वहीं तबादलों की गड़बड़ियां गिना रहे कर्मचारियों का कहना है कि त्रुटियां दूर किए बगैर ऐसी कार्रवाई उचित नहीं। उन्होंने सवाल किया है कि वह कर्मचारी क्या करें जो आदेश के बाद कार्यमुक्त तो हो चुके हैं, लेकिन उन्हें जगह न होने का हवाला देकर कार्यभार ग्रहण नहीं कराया जा रहा?
वेतन रोकने संबंधी आदेश में महानिदेशक विजय किरन आनंद ने यह भी कहा है कि उनकी अनुमति के बगैर किसी का वेतन कतई जारी न किया जाए। यदि किसी दोषी कर्मचारी का वेतन जारी होता है तो संबंधित कार्यालयाध्यक्ष, आहरण-वितरण अधिकारी के विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही की जाएगी। यही नहीं उन्होंने 19 जुलाई को की गई समीक्षा की स्थिति पर लिखा है कि स्थानांतरित 907 कर्मचारियों में 146 ही कार्यमुक्त हुए लेकिन 131 ने ही कार्यभार ग्रहण किया था। उन्होंने इसी स्थिति पर असंतोषजनक बताते हुए अब तक सीट न छोड़ने वालों पर कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
उधर, यूपी एजूकेशनल मिनिस्टीरियल ऑफिसर एसोसिएशन के महामंत्री राजेश चंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि महानिदेशक कार्यालय को पद छोड़ने व कार्यभार ग्रहण करने सूचना सही नहीं दी गई। उनके अनुसार इस समय अधिकांश वही कर्मचारी कार्यभार ग्रहण नहीं कर पाए हैं, जिन्हें पद रिक्त न होने के कारण कार्यभार ग्रहण नहीं कराया जा रहा। संगठन ने विभाग के स्तर से हुईं त्रुटियां सुधारे बगैर कार्रवाई किए जाने को गलत बताया है।