गोरखपुर।
शिक्षा विभाग में हड़कम्प मचा हुआ है। निदेशालय स्तर से बड़े पैमाने पर शिक्षणेत्तर कर्मियों के स्थानान्तरण का आदेश जारी हुआ है। इसकी जद में मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक कार्यालय गोरखपुर, डीआईओएस कार्यालय, डायट कार्यालय, एडी बेसिक, बीएसए कार्यालय के बाबू भी आ गए हैं। कई दफ्तरों में तो शत-प्रतिशत बाबुओं का ट्रांसफर कर दिया गया है। इस ट्रांसफर आदेश का यूपी एजुकेशनल मिनिस्ट्रियल ऑफीसर्स एसोसिएशन ने आक्रोश व्यक्त किया है। एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने ट्रांसफर आदेश में शासन के आदेश की अवहेलना का आरोप लगाते हुए शनिवार को काली पट्टी बांध कर काम किया।
प्रदेश में इन दिनों ट्रांसफर प्रक्रिया की बाढ़ सी आ गई है। पुलिस, शिक्षा, परिवहन, स्वास्थ सहित सभी जगह ट्रांसफर की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। इस बीच शिक्षा निदेशालय स्तर से शिक्षणेत्तर कर्मियों की बड़े पैमाने पर तबादला सूची जारी की गई है। इस सूची में मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक कार्यालय के छह और डीआईओएस कार्यालय के नौ बाबुओं समेत बीएसए, डायट और एडी बेसिक कार्यालय के बाबू भी शामिल हैं। आरोप है कि इस ट्रांसफर में शासन के आदेश की धज्जियां उड़ाई गईं हैं। यूपी एजुकेशनल मिनिस्ट्रियल ऑफिसर्स एसोसिएशन के प्रांतीय महामंत्री राजेश चन्द्र श्रीवास्तव ने आरोप लगाया कि निदेशालय स्तर से धन उगाही कर ट्रांसफर का आदेश जारी किया गया है।
ट्रांसफर में जनपदीय और मंडलीय पदाधिकारियों में विकलांग और जिनकी सेवानिवृत्ति दो वर्ष से कम है उन कर्मचारियों का भी नाम शामिल है। जबकि इनको लेकर शासन ने स्थानान्तरण नीति जारी कर रखी है। आरोप है कि जनपद में पद रिक्त होने के बावजूद जनपद से बाहर स्थानान्तरण किया गया है, जिससे कि उनसे धन उगाही की जा सके। पांच वर्ष से अधिक समय से एक ही जगह जमे कई कर्मचारियों के ट्रांसफर नहीं किए गए हैं। एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री समेत अन्य उच्चाधिकारियों को प्रार्थना पत्र भेजकर वर्ष 2022-23 में किए गए ट्रांसफर की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। कहा है कि उनकी मांगों पर सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया तो वह धरना-प्रदर्शन और हड़ताल पर जाने को बाध्य हो जाएंगे।