लखनऊ- तदर्थ शिक्षक के लिए वैकल्पिक व्यवस्था खोजी जाएगी। माध्यमिक शिक्षा विभाग में कवायद शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक उच्चस्तरीय बैठक में तदर्थ शिक्षकों के लिए अधिकारियों को बीच का रास्ता निकालने के निर्देश दिए हैं। प्रदेश में तैनात 1700 से ज्यादा तदर्थ शिक्षकों का वेतन कई जिलों में मौखिक आदेश के बाद रोक दिया गया है।मुख्यमंत्री के आदेश के बाद माध्यमिक शिक्षा विभाग ने तदर्थ शिक्षकों को बनाए रखने के लिए रास्ते खोजने शुरू कर दिए हैं। इससे पहले मुख्यमंत्री ने चार सदस्यीय कमेटी का गठन करते हुए इसका समाधान करने के निर्देश दिए थे। सूत्रों के मुताबिक, कमेटी ने रिपोर्ट में तदर्थ शिक्षकों के समायोजन को लेकर कोई सकारात्मक रिपोर्ट नहीं दी थी लेकिन मुख्यमंत्री ने तदर्थ शिक्षकों के मामले में सहानुभूतिपूर्वक विचार करने के निर्देश दिए हैं और कहा है कि एक भी तदर्थ शिक्षक सड़क पर न आए, इसके लिए रास्ता निकाला जाए।विधान परिषद सदस्य देवेन्द्र प्रताप सिंह और शिक्षक नेता व एमएलसी उमेश द्विवेदी ने मुख्यमंत्री को धन्यवाद देते हुए कहा है कि अधिकारियों की वजह से तदर्थ शिक्षकों का मामला हल नहीं हो पा रहा है। तदर्थ शिक्षकों ने अपनी सेवाएं उस समय दी जब सरकार शिक्षक नहीं दे पा रही थी।वर्ष 2000 के बाद माध्यमिक विद्यालयों में प्रबंध तंत्र द्वारा नियुक्त किए गए तदर्थ शिक्षकों पर सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद नौकरी पर संकट आ गया है। ये शिक्षक नवम्बर 2021 में लिखित परीक्षा में शामिल हुए, लेकिन उसमें सफल होने वाले शिक्षकों की संख्या कम रही। वहीं वर्ष 2000 के पहले के 568 शिक्षकों के लिए भी समाधान खोजा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को कानून में वांछित सुधार करते हुए तदर्थ शिक्षकों को नियमित करने को कहा है।
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