बढ़ती महंगाई को काबू में करने के लिए रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नीतिगत दरों में शुक्रवार को 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ अब दरें कोरोना महामारी के पहले के स्तर को पार कर गई हैं। रिजर्व बैंक के इस फैसले से घर, कार और अन्य प्रकार के कर्ज महंगे हो जाएंगे जिससे उपभोक्ताओं की मासिक किस्त यानी ईएमआई बढ़ने तय है।
चालू वित्त वर्ष की चौथी मौद्रिक नीति समीक्षा में लगातार तीसरी बार नीतिगत दर बढ़ाई गई है। कुल मिलाकर 2022-23 में अबतक रेपो दर में 1.4 प्रतिशत की वृद्धि की जा चुकी है। साथ ही मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने नरम नीतिगत रुख को वापस लेने पर ध्यान देने का भी निर्णय किया है।
रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक के बाद गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि देश में वैश्विक कारकों से महंगाई में बढ़ोतरी हो रही है। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ऊंची मुद्रास्फीति से जूझ रही है और इसे नियंत्रण में लाना जरूरी है।
इस वर्ष जून में लगातार छठे महीने में खुदरा महंगाई रिजर्व बैंक के लक्ष्य छह प्रतिशत से ऊपर बनी रही है। रेपो रेट आधा फीसदी बढ़ने से खुदरा महंगाई को नियंत्रित करने में मदद मिलने की उम्मीद है और महंगाई को मध्यावधि में छह प्रतिशत के लक्षित दायरे में लाया जा सकेगा। रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य दिया गया है।
मानक ब्याज दर बढ़ने के बाद आईसीआईसीआई बैंक और पंजाब नेशनल बैंक ने भी कर्ज देने की दर बढ़ा दी है। यह पांच अगस्त, 2022 से होगी। पीएनबी ने रेपो से संबंधित कर्ज दर 7.40 फीसदी से बढ़ाकर 7.90 फीसदी कर दिया है।
ऐसे समझें कितना असर पड़ेगा
मान लीजिए आपने एक माह पहले 7.55 फीसदी के अनुमानित ब्याज पर 20 लाख रुपये का होम लोन 20 साल के लिए लिया। तब इसकी ईएमआई 16,177 रुपये थी। 0.50 फीसदी ब्याज दर बढ़ जाने के बाद आपको 8.05 फीसदी के हिसाब से ब्याज चुकाना होगा। ऐसे में आपकी ईएमआई बढ़कर 16791 रुपये हो जाएगी।
इन वजहों से बढ़ी रेपो दर
1. दरें बढ़ने से विदेशी निवेशक भारत से पूंजी निकालने से बचेंगे, जिससे डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत होगा
2. मजबूत रुपये से कच्चा तेल और खाद्य तेल का आयात सस्ता पड़ेगा
3. भारत से निवेशक पूंजी निकालने से बचेंगे जिससे रुपया मजबूत होगा और तेल आयात सस्ता पड़ेगा