● नौकरी के दौरान दिव्यांग होने पर उसके हितों की रक्षा की जाएगी
● समूह ‘क’ व ‘घ’ के अधीन आने वालों में बधिर अंधता शामिल
लखनऊ । राज्य सरकार ने दिव्यांगों को पदोन्नति में तीन से बढ़ाकर चार फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है। नौकरी के दौरान दिव्यांग होने पर उसके हितों की रक्षा की जाएगी। अपर मुख्य सचिव कार्मिक डा. देवेश चतुर्वेदी ने इस संबंध में गुरुवार को शासनादेश जारी कर दिया है। इससे पहले प्रदेश सरकार ने दिव्यांगों को नई भर्ती में आरक्षण को बढ़ाकर तीन फीसदी से चार फीसदी कर दिया था।
इसके मुताबिक समूह ‘घ’ से ‘ग’ व समूह ‘ग’ से ‘ख’ और समूह ‘ख’ से ‘क’ सबसे निचले पायदान के पदों पर सीधी भर्ती का अंश 75 प्रतिशत से अधिक न हो, इसमें चार प्रतिशत रिक्तियां इनके लिए आरक्षित रखी जाएंगी। इनमें से एक-एक प्रतिशत रिक्तियां ‘क’, ‘ख’ व ‘ग’ के लिए आरक्षित रखी जाएंगी। एक प्रतिशत में समूह ‘घ’ व ‘ड’ को लाभ दिया जाएगा। ये पद दृष्टिहीनता कम दृष्टि, बधिर श्रवण ह्रास, प्रमस्तिष्कीय अंग घात, उपचारित, कुष्ठ, बौनापन, एसिड आक्रमण पीड़िता और मांसपेशीय दुष्पोषण सहित चलन क्रिया में निशक्तता के होंगे।
समूह ‘क’ व ‘घ’ के अधीन आने वाले व्यक्तियों में बहुनिशक्तता के तहत बधिर अंधता शामिल है। नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा पदोन्नति के पद पर नियुक्ति के समय सक्षम अधिकारी द्वारा प्रमाण पत्र की प्रमाणिकता की जांच कराई जाएगी। कोई विभाग कार्य की प्रकृति के आधार पर किसी प्रतिष्ठान को दिव्यांगता से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए आरक्षण के प्रावधान से अंशत: या पूर्णतया मुक्त रखना जरूरी समझे तो वह औचित्य दर्शाते हुए दिव्यांग कल्याण विभाग के माध्यम से मुख्यमंत्री को प्रस्ताव भेज सकता है। छूट देने के बारे में मुख्यमंत्री इस पर विचार करेंगे।
किसी भी कार्मिक को उसकी निशक्तता के आधार पर पदोन्नति से मना नहीं किया जा सकता है। कोई कार्मिक सेवा में रहते हुए यदि दिव्यांग हो जाता है, तो उसे सेवा से न तो निकाला जाएगा और न ही उसकी रैंक में कमी की जाएगी। दिव्यांगता पर पद का दायितव निर्वहन करने में असमर्थ होने पर समान वेतनमान व सेवाओं के साथ किसी अन्य पद पर उसे शिफ्ट किया जा सकता है। किसी अन्य पद समायोजन किया जाना संभव न होने पर उसे अधिसंख्य पद पर तब तक रखा जाएगा जब तक उसके लिए उपयुक्त पद उपलब्ध न हो जाए या फिर सेवानिवृत्त न हो जाए।