अब बच्चों की पहचान करेगा शिक्षा विभाग
● बेसिक स्कूलों के शिक्षकों को दी जा रही ट्रेनिंग
● ड्रापआउट से बचाने के लिए विभाग की योजना
गोण्ड। स्कूल छोड़ कर घर बैठ जाने की मंशा पालने वाले बच्चों को विभाग अब पहले ही पहचान लेगा। ऐसे बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। बच्चों का मन स्कूल आने में लगे इसके लिए सारे जतन किए जाने लगेंगे। विशेष प्रयासों के माध्यम से स्कूल को बेहतर बनाया जाएगा जिससे बच्चे का मन घर व इधर-उधर की बातों के बजाय स्कूल में आकर पढ़ने व सीखने में अधिक लगे। ऐसा करके स्कूल छोड़ने वाले ड्राप आउट बच्चों की संख्या पर लगाम लगाई जाएगी।
पढ़ते-पढ़ते बीच कक्षाओं से ही बच्चों का स्कूल छोड़ कर घर बैठ जाना विभाग के लिए वर्षों से सिरदर्दी बनी हुई है। विभाग ड्राप आउट पर लगाम लगाने के कई प्रयास कर विफल हो चुका है। बीते आंकड़े प्राइमरी व जूनियर स्कूलों से 23 सौ से अधिक बच्चों के स्कूल छोड़ देने की गवाही दे रहे हैं।
50 स्कूल के शिक्षकों को दी जा रही ट्रेनिंग : 50 स्कूल के शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जा रही है। उन्हें बताया जा रहा है कि कैसे स्कूल ड्राप आउट पर लगाम लगाया जा सके। उन्हें स्कूल छोड़ने का मन बना रहे बच्चों को पहचान उन पर खास प्रयास करने की कार्रवाई की जानी है। इनसे जुड़ी सभी बारीकियां बताई जाएंगी।
ऐसे होगी पहचान : बच्चों को प्रथम दृष्टया उनके स्कूल आने नही आने की तारतम्यता के आधार पर किया जाएगा।
वहीं यह भी देखा जाएगा कि स्कूल आने में उसका तरीका क्या है। पहले के मुकाबले स्कूल में आने अथवा नहीं आने की संख्या बढ़ाने वाले बच्चों की निगरानी की जाएंगी। उनका गणित व विज्ञान के प्रति रुझान भी स्कूल छोड़ने अथवा नहीं छोड़ने की प्रवृत्ति की पहचान कराएगा। जिला समन्वयक विनोद जायसवाल ने बताया कि बच्चों से संवाद स्थापित करते हुए उनकी पहचान की जाएगी। और फिर इसी आधार पर उनसे दिए गए जवाब ही उनकी असल पहचान कराने का काम करेंगे।