लखनऊ। प्रदेश में परिषदीय विद्यालयों की दशा सुधारने के लिए चल रहे ऑपरेशन कायाकल्प में नौ जिले सबसे ज्यादा पिछड़े हैं। इनमें अयोध्या, महोबा, हाथरस, अमरोहा, कानपुर देहात, ललितपुर, बस्ती, मथुरा व संत कबीरनगर शामिल हैं। यहां 31 मार्च, 2022 से मूलभूत अवस्थापना सुविधाओं को बढ़ाने में प्रगति बहुत कमजोर है। विभिन्न जिलों के 452 ऐसे स्कूल हैं, जिनकी अवस्थापना पर विद्यालय के स्वमूल्यांकन की फीडिंग में प्रेरणा पोर्टल पर कभी नहीं की गई। अन्य मामलों में भी अलग-अलग जिले पिछड़े हैं।
इसका खुलासा बीते दिनों जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों व जिला समन्वयकों की समीक्षा बैठक में हुआ है। महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने इस पर नाराजगी जताते हुए जल्द कमियां दूर कराने के निर्देश दिए हैं। ऑपरेशन कायाकल्प में 19 अवस्थापना सुविधाओं को सभी परिषदीय विद्यालयों में विकसित करने की कवायद हो रही है।
इसी क्रम में विद्यालयों के स्वमूल्यांकन की फीडिंग प्रेरणा पोर्टल पर कराई जाती है, लेकिन मुख्य रूप से आगरा के 94 कानपुर देहात के 64, गाजीपुर के 30, महोबा के 25, अमेठी के 22, आजमगढ़ के 15 व मैनपुरी के 14 ऐसे परिषदीय विद्यालय हैं, जिनकी कभी फीडिंग नहीं हुई।
711 विद्यालयों में पांच से ज्यादा सुविधाएं नहीं
पता चला है कि 711 विद्यालय ऐसे हैं, जिनमें 19 में मात्र 0 से 5 अवस्थापना सुविधाएं हैं। 4211 विद्यालयों में 6 से 10 के बीच सुविधाएं हैं। यह स्थिति तब है जब चार वर्षों से ऑपरेशन कायाकल्प चल रहा है।
जल व शौचालय में 11 जिले पीछे
पाइप जल सुविधा और छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय सुविधा 31 अगस्त तक किए जाने के निर्देश हैं, लेकिन इसमें 11 जिले पीछे चल रहे हैं। इनमें चित्रकूट, मऊ, कानपुर देहात, देवरिया, प्रतापगढ़, गोंडा, संत कबीरनगर, बलिया, अमरोहा, उन्नाव व आजमगढ़ की स्थिति संतोषजनक नहीं मिली है। इसके लिए डीएम व सीडीओ के माध्यम से संबंधित विभागों के साथ समन्वय करने के निर्देश दिए गए हैं।