Home PRIMARY KA MASTER NEWS UP Cabinet Decision : योगी सरकार की कैबिनेट बैठक में इन 20 प्रस्तावो पर लगी मुहर , देखें पूरा विस्तृत

UP Cabinet Decision : योगी सरकार की कैबिनेट बैठक में इन 20 प्रस्तावो पर लगी मुहर , देखें पूरा विस्तृत

by Manju Maurya

कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग अध्यापक सेवा नियमावली-2000 (यथा संशोधित) में चतुर्थ संशोधन किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसके तहत दिव्यांगजन स्कूलों में प्रधानाचार्यों और अध्यापकों की भर्ती उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के माध्यम से होगी। अभी तक ये भर्तियां निदेशालय के माध्यम से होंती थीं। इससे 300 पदों पर भर्तियों का रास्ता साफ हो गया है।

प्रदेश सरकार ने नई एमएसएमई नीति-2022 को मंजूरी देकर इस सेक्टर के प्रोत्साहन के लिए खजाना खोल दिया है। निवेश पर 25 प्रतिशत तक पूंजीगत सब्सिडी और लिए गए ऋण पर 50 प्रतिशत तक ब्याज में छूट (उपादान) का प्रावधान किया गया है। प्रदेश में 10 एकड़ से अधिक के एमएसएमई पार्क स्थापित करने के लिए भूमि खरीदने पर स्टांप शुल्क में 100 प्रतिशत छूट मिलेगी। इतना ही नहीं, बहिस्राव के निस्तारण के लिए कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लान (सीईटीपी) के लिए 10 करोड़ रुपये तक की वित्तीय मदद भी दी जा सकेगी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में उत्तर प्रदेश सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम प्रोत्साहन नीति-2022 को अनुमोदित कर दिया है। इसमें किसी तरह का संशोधन मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद ही किया जा सकेगा। नई नीति के अंतर्गत स्थापित होने वाले नए एमएसएमई उद्यमों को पूंजीगत उपादान के रूप में 10 प्रतिशत से लेकर 25 प्रतिशत तक उपादान उपलब्ध कराया जा सकेगा। पूंजीगत उपादान (छूट) प्लांट व मशीनरी आदि पर निवेश पर मिलता है। बुंदेलखंड और पूर्वांचल क्षेत्रों में उपादान की यह सीमा 15-25 प्रतिशत तक और मध्यांचल व पश्चिमांचल में 10-20 प्रतिशत तक होगी। एससी-एसटी और महिला उद्यमियों के लिए दो प्रतिशत अधिक छूट दी जाएगी। उपादान की अधिकतम सीमा 4 करोड़ रुपये प्रति इकाई निर्धारित की गई है। एमएसएमई मंत्री राकेश सचान ने कहा कि यूपी में पहली बार ऐसी नीति लाई गई है। इससे एमएसएमई को प्रोत्साहित करने में मदद मिलेगी।

एससी-एसटी और महिला उद्यमियों को ब्याज में 60 प्रतिशत छूट

प्रदेश में स्थापित होने वाले नए सूक्ष्म उद्योगों के लिए पूंजीगत ब्याज उपादान के तहत ऋण पर देय वार्षिक ब्याज पर 50 प्रतिशत छूट मिलेगी। यह ब्याज उपादान 5 वर्र्षों के लिए दिया जाएगा और अधिकतम सीमा 25 लाख रुपये प्रति इकाई होगी। एससी-एसटी और महिला उद्यमियों के लिए यह ब्याज उपादान 60 प्रतिशत तक होगा।

स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टिंग के लिए भी 5 लाख तक की भरपाई

नीति के अनुसार, एमएसएमई इकाइयों को अधिक से अधिक स्रोतों से क्रेडिट उपलब्ध कराने केलिए स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। ऐसी सभी इकाइयों को लिस्टिंग के व्यय का 20 प्रतिशत और अधिकतम 5 लाख रुपये की भरपाई की जाएगी। फ्लैटेड फैक्ट्री की स्थापना को प्रोत्साहन दिया जाएगा।

ग्राम सभा की 5 एकड़ भूमि उद्योगों के लिए मिलेगी

10 एकड़ से अधिक के एमएसएमई पार्क स्थापित करने के लिए भूमि खरीद पर 100 प्रतिशत स्टांप शुल्क में छूट और लिए गए ऋण पर 7 वर्षों तक 50 प्रतिशत ब्याज उपादान (अधिकतम दो करोड़ रुपये) उपलब्ध कराया जाएगा। औद्योगिक आस्थानों में भूखंडों और शेडों के आवंटन की प्रक्रिया को ऑनलाइन किया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में एमएसएमई को प्रोत्साहन देने के लिए 5 एकड़ या उससे अधिक ग्राम सभा की भूमि पुनर्ग्रहीत कर निशुल्क उद्योग निदेशालय को स्थानांतरित की जाएगी। विभाग भूखंडों का विकास करते हुए जिलाधिकारी के सर्किल रेट पर आवंटन करेगा। एक्सप्रेसवे के दोनों ओर 5 किमी की दूरी के अंतर्गत औद्योगिक आस्थानों के विकास के माध्यम से एमएसएमई इकाइयों को प्रोत्साहित किया जाएगा। परंपरागत औद्योगिक क्लस्टरों में एफ्लुएंट ट्रीटमेंट की समस्या के मद्देनजर सीईटीपी को प्रोत्साहित करने का भी प्रावधान है।

हॉलमार्क के लिए भी मदद

गुणवत्ता मानक जैसे जीरो इफेक्ट-जीरो डिफेक्ट, डब्ल्यूएचओ जीएमपी, हॉलमार्क आदि प्राप्त करने के लिए कुल लागत का 75 प्रतिशत और अधिकतम 5 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता दी जाएगी। जीआई रजिस्ट्रेशन और पेटेंट आदि प्राप्त करने के लिए दो लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता मिलेगी। क्लीन एवं ग्रीन तकनीक को अपनाने के लिए एमएसएमई इकाइयों को अधिकतम 20 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। उद्यमिता विकास संस्थान को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित करते हुए उद्यमिता के पाठ्यक्रमों के आधार पर प्रदेश के युवाओं में उद्यमिता का प्रसार किया जाएगा।

अयोध्या में एसटीपी बनाने के निशुल्क 10 एकड़ जमीन देगा आवास विभाग

अयोध्या में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) लगाने में आ रही जमीन की दिक्कत को दूर कर दिया है। सरकार ने एसटीपी लगाने के लिए 10 एकड़ नजूल भूमि को नगर विकास विभाग को देने का फैसला किया है। नगर विकास विभाग को यह भूमि नि:शुल्क दी जाएगी। इससे संबंधित प्रस्ताव को कैबिनेट ने भी मंजूरी दे दी है। बता दें कि मौजूदा समय में अयोध्या का विकास सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में शामिल है। जिस तरह से रामनगरी का विकास का खाका तैयार किया जा रहा है, उसे देखते हुए भविष्य में अयोध्या की आबादी में भारी बढ़ोत्तरी होने की संभावना है। इसी को ध्यान में रखते हुए शहर में अवस्थपाना की कई विकास परियोजनाएं चल रही हैं। इसी कड़ी में शहर की सीवर व्यवस्था को भी सुदृढ किया जा रहा है। साथ ही सीवेज शोधन के लिए यहां एक एसटीपी लगाने का भी काम होना है, लेकिन एसटीपी लगाने के लिए जमीन उपलब्ध नहीं हो पा रही है। एसटीपी लगाने की जिम्मेदार अयोध्या नगर निगम को सौंपा गया है। एसटीपी के लिए जमीन उपलब्ध न होने पर नगर विकास विभाग ने आवास विभाग से नजूल की भूमि उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था। इसी आधार पर आवास विभाग ने ग्राम मांझा जमथरा में नमामि गंगे कार्यक्रम मे तहत एसटीपी लगाने के लिए मुफ्त में जमीन देने का प्रस्ताव कैबिनेट में रखा था। जिसे मंजूरी दे दी गई है।

सभी उपनिबंधक दफ्तर की रजिस्ट्री लेखपत्रों का होगा डिजिटलीकरण

प्रदेश सरकार ने सभी उपनिबंधक कार्यालयों में हुए रजिस्ट्री लेखपत्रों (डीड) का डिजिटलीकरण कराने का फैसला किया है। सरकार के फैसले के मुताबिक वर्ष 2002 से लेकर 2017 तक की सभी रजिस्ट्री के दस्तावेज का डिजिटलीकरण कराया जाएगा। इससे संबंधित प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। सरकार के इस फैसले से रजिस्ट्री की दस्तावेज में कोई हेरफेर नहीं हो सकेगा। स्टांप एवं पंजीयन विभाग द्वारा कैबिनेट में रखे गए प्रस्ताव के मुताबिक रजिस्ट्रेशन अधिनियम 1908 के प्रावधानों के अधीन प्रदेश के सभी उपनिबंधक कार्यालयों में साल 2002 से 2017 की अवधि में पंजीकृत लेखपत्रों का स्कैनिंग, इंडैक्सिंग और अपलोडिंग यानी सभी तरह के अभिलेखों का डिजिटलीकरण कराया जाएगा। यह काम एक साल में पूरा किया जाएगा। इससे स्टांप एवं निबंधक विभाग को हर साल राजस्व आय में करीब 40 से 50 करोड़ रुपये की वृद्धि होगी। इसके साथ ही इनके निरीक्षण, सत्यापित प्रतियां प्राप्त करने और अभिलेखों को सुरक्षित रखने में सहायता भी मिलेगी। एक तरह से देखा जाए तो यह नवाचार भी है और इससे रोजगार भी मिलेगा।

पंचायत सहायक को मिलेगी पांच रुपये प्रति दस्तावेज प्रोत्साहन राशि

ग्राम पंचायतों (ग्राम सचिवालय) में तैनात पंचायत सहायकों को अब पंचायत से जारी होने वाले प्रत्येक दस्तावेज पर पांच रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। योगी कैबिनेट की मंगलवार को आयोजित बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया गया। कैबिनेट बैठक के निर्णय की जानकारी देते हुए पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि ग्राम पंचायतों में तैनात पंचायत सहायक ई-डिस्ट्रिक पोर्टल के जरिये ऑनलाइन सेवाएं देते है। ग्राम पंचायतों में पंचायत सहायक 243 योजनाओं और सेवाएं उपलब्ध करा रहे है। उन्होंने बताया कि प्रति सेवा के लिए ग्राम पंचायत की ओर से 15 रुपये शुल्क लिया जाता है। इसमें से पांच रुपये प्रोत्साहन राशि अब पंचायत सहायक को दी जाएगी जबकि शेष राशि ग्राम पंचायत के खाते में जमा की जाएगी। इससे करीब 58,189 पंचायत सहायकों की आय में वृद्धि होगी।

अब दो वर्ष बाद ला सकेंगे क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष और जिला पंचायत अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव

प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्षों और क्षेत्र पंचायत अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव अब दो वर्ष बाद ही लाया जा सकेगा। अविश्वास प्रस्ताव के लिए दो तिहाई सदस्यों की सहमति भी अनिवार्य होगी। योगी कैबिनेट ने मंगलवार को आयोजित बैठक में उत्तर प्रदेश क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत अधिनियम 1961 की धारा 15 एवं 28 में संशोधन का प्रस्ताव पारित किया गया। पंचायतीराज विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक जिला पंचायत अध्यक्ष और क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ निर्वाचित होने के एक वर्ष बाद अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है। अविश्वास प्रस्ताव के लिए क्षेत्र पंचायत या जिला पंचायत के निर्वाचित सदस्यों के 51 फीसदी की सहमति होना आवश्यक है। अधिनियम में संशोधन के बाद अब निर्वाचन के दो वर्ष बाद ही अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकेगा।

क्षेत्र पंचायत और  जिला पंचायत संशोधन विधेयक 2016 वापस लिया

योगी कैबिनेट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत संशोधन अधिनियम 2016 को वापस लेने का प्रस्ताव पारित किया है। जानकारी के मुताबिक 2016 में तत्कालीन सरकार की ओर से क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की अवधि को बढ़ाने और अविश्वास प्रस्ताव के लिए आवश्यक सदस्यों की संख्या को भी दो तिहाई करने का अधिनियम विधानमंडल के दोनों सदनों से पारित किया था। लेकिन उस समय तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक ने इस विधेयक को वापस लौटा दिया था। प्रदेश कैबिनेट ने मंगलवार को इस विधेयक को वापस लेने का प्रस्ताव मंजूर किया है।
जैव ऊर्जा उद्योग स्थापित होंगे, एक हजार करोड़ की सब्सिडी, हर तहसील पर बायोगैस प्लांट
प्रदेश में जैव ऊर्जा उद्यम की स्थापना, पराली जलने से होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने और किसानों की आय में वृद्धि के लिए योगी कैबिनेट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश राज्य जैव ऊर्जा नीति -2022 को मंजूरी दी है। नीति के तहत कंप्रेस्ड बायोगैस उत्पादन का प्लांट लगाने पर 75 लाख रुपये प्रति टन की दर से अधिकतम 20 करोड़ रुपये, बायोकोल उत्पादन पर 75 हजार रुपये प्रति टन की दर से अधिकतम 20 करोड़ रुपये और बायो डीजल उत्पादन प्लांट की स्थापना पर तीन लाख रुपये प्रति किलोलीटर की दर दर से अधिकतम 20 करोड़ रुपये सब्सिडी दी जाएगी। अपशिष्ट आपूर्ति श्रृंखला का विकास करने के लिए हर तहसील मं एक बायोगैस प्लांट स्थापित किया जाएगा।

प्रदेश सरकार का दावा है कि नीति के क्रियान्वयन से खेतों में पराली जलाने की समस्या का समाधान होगा। जैविक अपशिष्ट का निस्तारण वैज्ञानिक विधि से हो सकेगा और बायोमैन्यूर की उपलब्धता से खेतों में उर्वरकता बढ़ेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार शाम लोकभवन में आयोजित कैबिनेट बैठक के बाद नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने मीडिया से बातचीत में बताया कि नीति के तहत पांच वर्ष में पांच हजार करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य रखा है। नीति के क्रियान्वयन से ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश और रोजगार सृजित होगा। आयातित कच्चे तेल और पेट्रोलियम गैस पर निर्भरता कम होगी। उन्होंने कहा कि अब तक किसान जिस पराली को जलाने के लिए परेशान रहते थे, अब उसी पराली को बेचकर वह कमाई कर सकेंगे।

30 वर्ष के लिए लीज पर दी जाएगी भूमि

अरविंद शर्मा ने बताया कि जैव ऊर्जा उद्यमों की स्थापना, फीड स्टॉक के संग्रहण एवं भंडारण के लिए अधिकतम 30 वर्ष तक लीज पर भूमिक एक रुपये प्रति एकड़ वार्षिक टोकन लीज रेंट पर उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि स्टांप शुल्क में शत प्रतिशत प्रतिपूर्ति की जाएगी। विद्युत कर शुल्क में दस वर्ष तक शत प्रतिशत छूट दी जाएगी। बायोमास आपूर्ति की निश्चितता के लिए एफपीओ, एग्रीगेटर के जरिये दीर्घकालीन बायोमास आपूर्ति अनुबंध किया जाएगा और क्षेत्र संबद्ध करने व्यवस्था की जाएगी। चीनी मिल परिसरों में उपलब्ध रिक्त भूमि का जैव ऊर्जा उद्यम स्थापना, बायोमास भंडारण के लिए आवंटन किया जा सकेगा। जैव ऊर्जा उद्यम के सह उत्पाद, बायोमैन्यूर की बिक्री के लिए जैव ऊर्जा इकाई के कैचमेंट एरिया, तहस में बायोमास संग्रहण, परिवहन और भंडारण में उपयोग होने वाली कृषि मशीनरी पर भी सब्सिडी दी जाएगी।

अपशिष्ट का होगा निस्तारण

अरविंद शर्मा ने बताया कि प्रदेश में कृषि अपशिष्ट, कृषि उपज मंडियों का अपशिष्ट, पशुधन अपशिष्ट, चीनी मिलों का अपशिष्ट, नगरीय अपशिष्ट और जैविक अपशिष्ट पर्याप्त मात्रा में है। इन अपशिष्टों की समस्या के समाधान और जैव ऊर्जा उद्यम स्थापना के लिए नीति लागू की गई है।

पांच वर्ष में 1040 करोड़ की सब्सिडी देगी सरकार
प्रदेश में कंप्रेस्ड बायोगैस, बायोकोल और बायो एथनॉल के उत्पादन प्लांट लगाने के लिए सरकार की ओर से पांच वर्ष में 1040 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जाएगी।
– कंप्रेस्ड बायोगैस प्लांट की स्थापना से पांच वर्ष में एक हजार टन सीबीजी प्रतिदिन बायोगैस का उत्पादन किया जाएगा। इस पर करीब 750 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जाएगी।

बायोकोल प्लांट से पांच वर्ष में 4 हजार टन  प्रतिदिन बायोकोल का उत्पादन किया जाएगा। इस पर करीब 30 करोड़ रुपये सब्सिडी दी जाएगी।
– बायो एथनॉल और बायो डीजल प्लांट से पांच वर्ष में 2 हजार किलोलीटर बायो एथनॉल और बायो डीजल का उत्पादन किया जाएगा। इन प्लांट को पांच वर्ष में 60 करोड़ रुपये सब्सिडी दी जाएगी।

– बायोमास के संग्रहण के लिए रेकर, बेलर, ट्रालर पर अतिरिक्त अनुदान देकर 500 फार्म मशीनरी एक्यूपमेंट यूनिट की स्थापना की जाएगी और 100 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जाएगी।
– 50 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं के लिए संपर्क मार्ग बनाने के लिए 100 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। करीब 200 किलोमीटर संपर्क मार्ग निर्माण किया जाएगा।
– जैव ऊर्जा नीति के प्रचार प्रसार के लिए प्रत्येक जिले को एक लाख रुपये का बजट दिया जाएगा।


मुजफ्फरनगर पालिका व कटरा नगर पंचायत का होगा सीमा विस्तार

इस साल के अंत में प्रस्तावित नगर निकाय चुनाव को देखते हुए सरकार ने दो और नगर निकायों की सीमा का विस्तार करने का फैसला किया है। इसके लिए नगर विकास विभाग द्वारा तैयार किए गए मुजफ्फरनगर पालिका परिषद और कटरा (गोंडा) नगर पंचायत के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। जल्द ही दोनों निकायों के सीमा विस्तार संबंधी अधिसूचना जारी की जाएगी। प्रस्ताव के मुताबिक मुजफ्फरनगर नगर पालिका परिषग की सीमा में 15 राजस्व गांवों को शामिल किए जाने का फैसला किया गया है। इन गांवों में खानजहांपुर, मंधेड़ा, मीरापुर, वहलना, सूजडू, सहावली, सरवट, कूकड़ा, मुजफ्फरनगर, शाहबुद्दीनपुर, अलमासपुर, बीबीपुर, मुस्तफाबाद, शेरनगर और बिलासपुर शामिल हैं। इसी प्रकार गोंडा के कटरा नगर पंचायत की सीमा में आसपास के तीन गांवों को शामिल किए जाने का प्रस्ताव है। प्रस्तावित सीमा विस्तार में किसी तरह के संशोधन के लिए नगर विकास मंत्री को अधिकृत किया गया है।

रानीपुर टाइगर रिजर्व की स्थापना को सरकार की हरी झंडी

कैबिनेट ने बुंदेलखंड में रानीपुर टाइगर रिजर्व की स्थापना के संबंध में लाए गए प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसके लिए रानीपुर वन्य जीव विहार के  रूप में अधिसूचित 23031 हेक्टेयर क्षेत्र टाइगर रिजर्व का कोर एरिया होगा। वन क्षेत्र में अधिसूचित 29958.863 को बफर जोन में शामिल किया जाएगा। रानीपुर टाइगर रिजर्व फाउंडेशन के नियमावली के गठन और फाउंडेशन के संचालन के लिए एकमुश्त 50 करोड़ रुपये के कॉर्पस फंड की व्यवस्था के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है। रानीपुर टाइगर रिजर्व अधिसूचित होने के बाद यह केंद्र सरकार की प्रोजेक्ट टाइगर योजना से आच्छादित हो जाएगा। प्रोजेक्ट टाइगर योजना के अंतर्गत व्यय में केंद्रांश भी  60:40 या 50:50 के अनुपात में रहता है। राज्य सरकार की अधिसूचना की जारी होने की तिथि से रानीपुर टाइगर रिजर्व स्थापित हो जाएगा। प्रस्तावित क्षेत्र में बाघ समेत अन्य विशिष्ट प्रकार के वन्य जीवों व पारिस्थितिकी का संरक्षण, संवर्धन और बुंदेलखंड क्षेत्र में ईको पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास होगा।प्रस्तावित क्षेत्र टाइगर रिजर्व के रूप में घोषित होने से नजदीक के पन्ना टाइगर रिजर्व से आने वाले बाघों का पुनर्वास सुरक्षित रूप से सुनिश्चित हो पाएगा, जिससे बाघों की जनसंख्या में वृद्धि होगी।

अयोध्या में टूरिस्ट फैसिलिटेशन सेंटर का रास्ता साफ

अयोध्या में अयोध्या विजन-2047 के तहत टूरिस्ट फैसिलिटशन सेंटर के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। राज्य सरकार ने अयोध्या में टूरिस्ट फैसिलिटेशन सेंटर के निर्माण व संचालन के लिए सार्वजनिक निजी सहभागिता (पीपीपी) मोड पर विशेषज्ञ संस्थाओं/निजी निवेशकों के  चयन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में इससे जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इस मामले में आवश्यकतानुसार आगे का निर्णय लिए जाने के लिए कैबिनेट ने मुख्यमंत्री को अधिकृत किया है। अयोध्या में आधुनिक टूरिस्ट फैसिलिटेशन सेंटर के  निर्माण एवं इसका संचालन विशेषज्ञ संस्थाओं द्वारा कराने का खाका तैयार किया गया है। इसे पर्यटन के लिहाज से काफी फायदेमंद माना जा रहा है। इससे अयोध्या आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों को तो लाभ मिलेगा ही, पर्यटन उद्योग से जुड़े हुए व्यवसायियों, सेवा प्रदाताओं तथा अयोध्या के आम लोगों का आर्थिक विकास भी होगा। टूरिस्ट फैसिलिटेशन सेंटर के संचालन, पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विपणन तथा रख-रखाव के लिए विशेषज्ञ संस्थाओं व निजी निवेशकों की आवश्यकता होगी। इसलिए टूरिस्ट फैसिलिटेशन सेंटर परियोजना के निर्माण व संचालन के लिए इस परियोजना को पीपीपी मोड पर विशेषज्ञ संस्थाओं/निजी निवेशकों को दिए जाने का प्रस्ताव है। अयोध्या विजन-2047 के अंतर्गत प्रस्तावित अल्प व्यय सुविधाजनक बजट यात्री निवास, होटल, डॉरमेट्री, एमपी0 थियेटर का निर्माण पूर्ण होने पर शैय्या की संख्या में बढ़ोत्तरी होगी। श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के कारण अयोध्या में दिनों-दिन पर्यटकों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है। वर्तमान में अयोध्या में लगभग 30 होटल और लगभग 100 मंदिरों की धर्मशालाएं हैं, जिसमें कुल मिलाकर लगभग 25,000 से अधिक शैय्या उपलब्ध हैं। अयोध्या में टूरिस्ट फैसिलिटेशन सेंटर का निर्माण पूरा हो जाने के बाद इसकी बेसमेंट पार्किंग में लगभग 250 कार पार्क  की जा सकेंगी।

प्रदेश में होगा स्टेट ट्रांसफॉर्मेशन कमीशन का गठन

प्रदेश में अब स्टेट ट्रांसफार्मेशन कमीशन (एसटीसी) होगा। राज्य योजना आयोग का पुनर्गठन करते हुए एसटीसी बनाने के प्रस्ताव को मंगलवार को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। मुख्यमंत्री इस कमीशन के अध्यक्ष होंगे। इसका मुख्य कार्य राज्य के विभिन्न प्रकार के संसाधनों (भौतिक, वित्तीय व जनशक्ति) का अनुमान लगाना और राज्य के विकास में इनके सर्वोत्तम उपयोग की नीति तैयार कर सुझाव देना होगा। इसके अलावा भी कमीशन राज्य के चौमुखी विकास से जुड़े विभिन्न पहलुओं को देखेगा।

एसटीसी के उपाध्यक्ष के रूप में ख्याति प्राप्त अनुभवी लोक प्रशासक, शिक्षाविद या विभिन्न क्षेत्रों के विषय विशेषज्ञ का मनोनयन मुख्यमंत्री द्वारा किया जाएगा। उपाध्यक्ष का कार्यकाल अधिकतम तीन वर्ष होगा और मुख्यमंत्री के अनुमोदन से विशेष परिस्थितियों में उसे दो वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकेगा। उपाध्यक्ष का मुख्यालय लखनऊ स्थित योजना भवन होगा। राज्य सरकार के वित्त मंत्री, कृषि मंत्री, समाज कल्याण मंत्री, ग्राम्य विकास मंत्री, पंचायतीराज मंत्री, चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री, औद्योगिक विकास मंत्री, जल शक्ति मंत्री, नगर विकास मंत्री और नियोजन विभाग के मंत्री/राज्यमंत्री कमीशन के पदेन सदस्य (विशेष आमंत्री) होंगे। भविष्य में एसटीसी से जुड़े जरूरी संशोधन मुख्यमंत्री के अनुमोदन से किए जा सकेंगे।

ये होंगे शासकीय पदेन व गैर सरकारी सदस्य
स्टेट ट्रांसफॉर्मेशन कमीशन में मुख्य सचिव, कृषि उत्पादन आयुक्त, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त, समाज कल्याण आयुक्त/अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव समाज कल्याण के अलावा वित्त, कृषि, नगर विकास, ग्राम्य विकास, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास, सिंचाई एवं जल संसाधन और नियोजन विभाग के अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव शासकीय पदेन सदस्य होंगे। वहीं मुख्यमंत्री द्वारा नामित सामाजिक सेक्टर से संबंधित विषय विशेषज्ञ, कृषि व संवर्गीय सेवाओं से संबंधित विषय विशेषज्ञ, अर्थव्यवस्था व वित्त क्षेत्र से संबंधित विषय विशेषज्ञ व औद्योगिक विकास/निवेश/प्रौद्योगिकी/ऊर्जा क्षेत्र से संबंधित विशेषज्ञ कमीशन के गैर सरकारी सदस्य होंगे।

ये होंगे कार्य व दायित्व

– राज्य के विभिन्न प्रकार के संसाधनों (भौतिक, वित्तीय एवं जनशक्ति) का अनुमान लगाना और राज्य के विकास में इनके सर्वोत्तम उपयोग की नीति तैयार कर सुझाव देना।
– राष्ट्रीय एजेंडा के उद्देश्यों, प्राथमिकताओं के साथ ही राज्य की आवश्यकताओं, संसाधनों व क्षमता को ध्यान में रखते हुए क्षेत्रवार और कार्यक्रमवार अल्पकालीन व दीर्घकालीन उपायों की संरचना करना।  साथ ही क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने के लिए नीतियों व कार्यक्रमों पर सुझाव देना।
– जनमानस के जीवन स्तर में सुधार हेतु तंत्र विकसित करने व राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास में अवरोध उत्पन्न करने वाले कारकों को चिन्हित करना। साथ ही विकास एजेंडा पर सफल कार्यान्वयन के लिए समाधान ढूंढना।
– आर्थिक सुधारों के वातावरण व परिप्रेक्ष्य में यथासंभव पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के जरिए उपलब्ध वित्तीय स्रोत/संसाधनों का अनुकूलतम उपयोग के लिए सुझाव देना।
– विकास कार्यों के प्रतिफल (आउटकम) का नियमित रूप से मूल्यांकन करते हुए सुझाव देना।
– सूचना प्रौद्योगिकी, डिजिटल टेक्नोलॉजी व आधुनिक संचार साधनों का अधिक से अधिक उपयोग सुनिश्चित करना।
– उच्च तकनीकी संस्थाओं से समन्वय कर ज्ञान हस्तांतरण का लाभ प्राप्त करने के लिए संसाधन केंद्र (रिसोर्स सेंटर) व ज्ञान केंद्र (नॉलेज हब) के रूप में कार्य करना।
– विकास कार्यों की प्रगति की नियमित रूप से समीक्षा करते हुए आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करना और अन्य कार्य जो समय-समय पर सौंपे जाएं, उन्हें करना।

इसलिए पड़ी जरूरत

कैबिनेट का मानना है कि नीति आयोग की परिकल्पनाओं के लिए प्रदेश में राज्य योजना आयोग का पुनर्गठन करते हुए नवीन संस्था का सृजन करने की आवश्यकता है। प्रदेश की अर्थव्यवस्था को वर्ष 2027 तक 01 ट्रिलियन डॉलर के स्तर पर लाए जाने का संकल्प लिया गया है। इसे मूर्त रूप देने के लिए विभागों को सतत मार्गदर्शन, रणनीति व सुझाव दिया जाना निहित है। प्रस्तावित एसटीसी को थिंक टैंक के रूप में समावेशी विकास हेतु साझा दृष्टिकोण विकसित करना निहित है।

1972 में गठित हुआ था योजना आयोग

केंद्रीय योजना आयोग, भारत सरकार का गठन वर्ष 1950 में हुआ था। वहीं प्रदेश में राज्य योजना आयोग का गठन 24 अगस्त 1972 को हुआ था। इसके बाद 01 जनवरी 2015 को योजना आयोग, भारत सरकार को समाप्त करते हुए नीति आयोग, भारत सरकार का गठन हुआ है।

दिव्यांगजन स्कूलों में बोर्ड के माध्यम से होंगी भर्तियां

कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग अध्यापक सेवा नियमावली-2000 (यथा संशोधित) में चतुर्थ संशोधन किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसके तहत दिव्यांगजन स्कूलों में प्रधानाचार्यों और अध्यापकों की भर्ती उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के माध्यम से होगी। अभी तक ये भर्तियां निदेशालय के माध्यम से होंती थीं। इससे 300 पदों पर भर्तियों का रास्ता साफ हो गया है।

चीनी मिलों के लिए बैंक ऑफ महाराष्ट्र से लिया जाएगा सस्ता ऋण
उत्तर प्रदेश राज्य चीनी एवं गन्ना विकास निगम लिमिटेड की पिपराईच और मुंडेरवा चीनी मिलों द्वारा गन्ना किसानों की पेराई सत्र 2019-20 में समय से गन्ना मूल्य भुगतान के लिए इंडियन बैंक से प्राप्त की जा रही नकद साख सीमा को बैंक ऑफ  महाराष्ट्र द्वारा टेकओवर किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। महाराष्ट्र बैंक का ब्याज 0.5 प्रतिशत कम है। गन्ना मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने बताया कि इससे 50 लाख रुपये सालाना की बचत होगी।

पेड़ी प्रबंधन के लिए बढ़ाई गई सब्सिडी
गन्ना विकास विभाग की योजना के तहत पेड़ी प्रबंधन एवं बीज व भूमि उपचार कार्यक्रम में सब्सिडी की दर 650 रुपये प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर 900 रुपये प्रति हेक्टेयर करने के प्रस्ताव को भी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। गन्ना आयुक्त संजय भूसरेड्डी ने बताया कि इससे राजकोष पर 7.5 करोड़ रुपये सालाना का अतिरिक्त भार आएगा।

एमएसटीपी करेगी खदानों की ई-नीलामी
प्रदेश में बालू मौरंग के ई-टेंडर और ई-नीलामी के लिए योगी कैबिनेट ने मैटल स्क्रेप  ट्रेड कारपोरेशन लिमिटेड को नोडल एजेंसी नामित किया है। एमएसटीसी बालू मौरंग के ई टेंडर और ई-नीलामी से खनन पट्टे जारी करेगा।

प्रदेश सरकार खरीदेगी  नया हेलीकॉप्टर
प्रदेश सरकार की ओर से एक नया हेलीकॉप्टर खरीदा जाएगा। वहीं एक पुराने हेलीकॉप्टर का निस्तारण भी किया जाएगा। योगी कैबिनेट की मंगलवार को आयोजित बैठक में एक नया हेलीकॉप्टर खरीदने और पुराने हेलीकाप्टर का निस्तारण करने का प्रस्ताव मंजूर किया।

50 करोड़ से अधिक लागत के भवन निर्माण के लिए ईपीसी मिशन का गठन होगा
प्रदेश में 50 करोड़ रुपये से अधिक लागत वाले भवन निर्माण के लिए इंजीनियरिंग प्रक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन मोड (ईपीसी) पर कराने के लिए ईपीसी मिशन का गठन किया जाएगा। ईपीसी मिशन परियोजना की विस्तृत कार्य योजना तैयार करने से लेकर उसके क्रियान्वयन और मॉनिटरिंग करेगा। योगी कैबिनेट की मंगलवार को आयोजित बैठक में 50 करोड़ रुपये से अधिक लागत वाले शासकीय भवनों के निर्माण कार्य को ईपीसी मोड में कराए जाने वाली प्रक्रिया के सरलीकरण का प्रस्ताव स्वीकृत किया है।

पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि ईपीसी मिशन एक प्रोजेक्ट मैनेजमेण्ट यूनिट (पीएमयू) की तरह कार्य करेगा। इसके लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक शासी निकाय का गठन किया जाएगा। शासी निकाय नीतिगत मार्गदर्शन के साथ-साथ परियोजनाओं के क्रियान्वयन में आने वाली समस्याओं का समाधान, परियोजना के कॉन्सेप्ट प्लान का अनुमोदन, परियोजना की प्रगति की समीक्षा तथा परियोजना प्रबन्धन का कार्य करेगी।

स्थायी और अस्थायी सदस्य नियुक्त किए जाएंगे
ईपीसी मिशन के शासी निकाय में गृह, राजस्व, वित्त, नियोजन, लोक निर्माण, सिंचाई, ऊर्जा, श्रम और वन विभाग के अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव स्थायी सदस्य होंगे। जिस विभाग की परियोजनाओं होगी, उस  विभाग के अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव को अस्थायी सदस्य नियुक्त किया जाएगा।

कार्यकारी समिति गठित होगी
ईपीसी मिशन के रोजमर्रा के कामकाज के लिए नियोजन विभाग के अपर मुख्य या प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में एक कार्यकारी समिति का गठन किया जाएगा। कार्यकारी समिति प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट का चयन, टेंडर की कार्यवाही तथा परियोजना की मॉनीटरिंग करेगी। डीपीआर के गठन पर आने वाले व्यय के लिए धनराशि की व्यवस्था नियोजन विभाग के बजट से की जाएगी।

कार्यकारी समिति की सहायता के लिए इसके अधीन एक तकनीकी सेल का गठन भी प्रस्तावित है। तकनीकी सेल के लिए लोक निर्माण विभाग द्वारा आवश्यक कार्मिक उपलब्ध कराए जाएंगे। ईपीसी मिशन के संबंध में भविष्य में कोई भी परिवर्तन वित्त विभाग के माध्यम से मुख्यमंत्री के अनुमोदन से किया जाएगा।

जिला स्तर पर होगी मॉनिटरिंग
जिला स्तर पर विकास या निर्माण परियोजना की मॉनीटरिंग के लिए जिलाधिकारी के अधीन एक तकनीकी प्रकोष्ठ का गठन किया जाएगा। इसमें लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग, ग्रामीण अभियंत्रण एवं अन्य अभियंत्रण विभागों के अधिशासी अभियन्ता स्तर के अधिकारी तैनात किए जाएंगे। प्रकोष्ठ जिलाधिकारी को परियोजना की प्रगति एवं गुणवत्ता के संबंध में निर्धारित अवधि पर रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। परियोजना की गुणवत्ता नियंत्रण के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाला तकनीकी प्रकोष्ठ, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसलटेंट, ईपीसी कॉन्ट्रैक्टर तथा थर्ड पार्टी ऑडिट की ओर से किया जाएगा।

केंद्र व प्रदेश सरकार की एजेंसी भी ले सकेंगी टेंडर
डीपीआर भूमि की उपलब्धता होने के बाद तैयार की जाएगी। परियोजना की सैद्धान्तिक सहमति के बाद 6 माह में कार्य शुरू कर दिया जाएगा और 18 महीने में काम पूरा करना होगा।  परियोजना की लागत का पुनरीक्षण अनुमन्य नहीं होगा। ईपीसी मोड में भवन निर्माण के लिए  राज्य सरकार,केन्द्र सरकार की निर्माण एजेंसियों के साथ-साथ निजी क्षेत्र की तकनीकी रूप से अर्ह निर्माण एजेन्सियां प्रतिभाग कर सकेंगी।


Related Articles

PRIMARY KA MASTER NOTICE

✍नोट :- इस ब्लॉग की सभी खबरें Google search से लीं गयीं, कृपया खबर का प्रयोग करने से पहले वैधानिक पुष्टि अवश्य कर लें, इसमें BLOG ADMIN की कोई जिम्मेदारी नहीं है, पाठक ख़बरे के प्रयोग हेतु खुद जिम्मेदार होगा!

PRIMARY KA MASTER

PRIMARY KA MASTER | primary ka master current news | primarykamaster | PRIMARY KA MASTER NEWS | primarykamaster news | up primary ka master | primary ka master | up ka master | uptet primary ka master | primary ka master com | प्राइमरी का मास्टर | basic siksha news | upbasiceduparishad |up basic news | basic shiksha parishad | up basic shiksha parishad | basic shiksha | up basic shiksha news | basic shiksha parishad news | basic news | up basic shiksha | basic shiksha news today | बेसिक शिक्षा न्यूज | बेसिक शिक्षा समाचार |basicshikshakparivar| basic shikshak parivar | basic shiksha samachar | basic ka master | basic shiksha com | up basic education news | basic shiksha vibhag | up basic shiksha latest news | Basicshikshak | up basic shiksha parishad news | uptet news | uptet latest news | uptet help | uptet blog | up tet news| updatemarts | update mart | SUPER TET | uptet latest news | uptetnews | www updatemarts com| updatemartsnews | ctet | d.el.ed | updeled | tet news | gurijiportal | upkamaster | basicshikshakhabar | primarykateacher | Shikshamitra | up shiksha mitra | shikhsa mitra news | govtjobsup | rojgarupdate | sarkari results | teachersclubs | sarkari master | sarkariresults| shasanadesh | tsctup |basicmaster | Basicguruji | sarkari rojgar

© Basic Shiksha Khabar | PRIMARY KA MASTER | SHIKSHAMITRA | Basic Shiksha News | UpdateMarts | Primarykamaster | UPTET NEWS

icons8-whatsapp-96