लखनऊ, । UP Cabinet Decision योगी सरकार (Yogi Government) ने नीति आयोग की तर्ज पर राज्य योजना आयोग (State Planning Commission) के पुनर्गठन का निर्णय करते हुए इसे स्टेट ट्रांसफार्मेशन कमीशन (एसटीसी) का नाम दिया है। एसटीसी राज्य की नीतियों के निर्धारण के लिए थिंक टैंक और ज्ञान के भंडार के रूप में काम करेगा। राज्य के भौतिक, वित्तीय और जन संसाधनों के सर्वोत्तम उपयोग के लिए सुझाव देगा। अगले पांच वर्षों में उप्र की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डालर का आकार देने की दिशा में भी काम करेगा।
स्टेट ट्रांसफार्मेशन कमीशन राज्य की नीतियों के निर्धारण के लिए बनेगा थिंक टैंक
मुख्यमंत्री एसटीसी के अध्यक्ष होंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) की अध्यक्षता में मंगलवार को लोक भवन में हुई कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया। कैबिनेट (UP Cabinet Decision) ने कुल 18 प्रस्तावों को मंजूरी दी।
ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने बताया कि राज्य के दोनों उप मुख्यमंत्री, वित्त, कृषि, समाज कल्याण, पंचायती राज, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास, जलशक्ति और नगर विकास विभागों के मंत्री तथा नियोजन राज्य मंत्री एसटीसी के पदेन सदस्य होंगे।
एसटीसी का उपाध्यक्ष कोई ख्यातिप्राप्त लोक प्रशासक/शिक्षाविद/अर्थशास्त्री होगा।
मुख्य सचिव, कृषि उत्पादन आयुक्त, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त, वित्त, कृषि, नगर विकास, ग्राम्य विकास, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास, जल संसाधन और नियोजन विभागों के अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव एसटीसी के शासकीय पदेन सदस्य होंगे।
तीन साल के लिए नामित किये जाएंगे 20 गैर सरकारी सदस्य
इसमें 20 गैर सरकारी सदस्य नामित किये जाएंगे जो सामाजिक सेक्टर, कृषि, अर्थव्यवस्था एवं वित्त, ऊर्जा, उद्योग आदि क्षेत्रों से जुड़े विषय विशेषज्ञ होंगे। नामित किये जाने वाले सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्ष होगा जिसे विशेष परिस्थितियों में दो साल के लिए और बढ़ाया जा सकेगा।
लोक प्रशासक होगा सीईओ
एसटीसी का मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) लोक प्रशासक/ प्रमुख सचिव या उससे उच्च स्तर का सेवारत/सेवानिवृत्त अधिकारी होगा। इसमें एक अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी होगा जो विशेष सचिव नियोजन के स्तर का अधिकारी होगा।
परिणाम आधारित कार्यपद्धति को देगा बढ़ावा
एसटीसी सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली में परिणाम आधारित कार्यपद्धति को बढ़ावा देने की दिशा में काम करेगा। राज्य के विकास के लिए नीतियों में नए ज्ञान, दक्षताओं और नवाचारों का भी समावेश करेगा। सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं के अवरोधों को चिन्हित कर उन्हें दूर करने के सुझाव देगा। कार्यक्रमों और परियोजनाओं को सार्वजनिक निजी सहभागिता के आधार पर आगे बढ़ाने के लिए सलाह देगा।
50 वर्ष पूर्व गठित राज्य योजना आयोग का अस्तित्व खत्म
राज्य योजना आयोग का गठन 24 अगस्त 1972 को हुआ था। मोदी सरकार द्वारा केंद्रीय योजना आयोग को पुनगर्ठित कर नीति आयोग बनाये जाने के बाद यह निष्क्रिय और अप्रासंगिक हो गया था। राज्य सरकार ने अब इसे नीति आयोग की तर्ज पर पुनगर्ठित करने का निर्णय किया है।