बहराइच, बेसिक स्कूलों के कैंपस में संचालित हो रहे आंगनबाडी केंद्रों के बच्चे अब फर्श पर नहीं बल्कि डेस्क पर बैठकर अध्ययन करेंगे। खेलने कूदने के लिए फॉम मैट भी केंद्रों पर होगी, ताकि बच्चों के पोशाक मटमैले न हो। पायलेट प्रोजेक्ट के तहत पहले चरण में यह सौगात 118 आंगनबाड़ी केंद्रों को मिलेगी। यहां संसाधन पर 23 लाख रुपये का बजट खर्च किया जाएगा। सरकार की इस पहल से बच्चों के फर्श पर बैठकर पढ़ने की दशकों पुरानी व्यवस्था बदलेगी।
प्रदेश के आठ आकांक्षात्मक जिलों में बहराइच भी है। नीति आयोग शिक्षा से जुडे संकेतांकों को बेहतर करने के लिए कई कदम उठा रहा है। साथ ही बेहतर शिक्षा का माहौल तैयार करने पर भी जोर दिया ज रहा है, ताकि शिक्षा के साथ बच्चों की मानसिकता भी अच्छी हो। इसी के तहत बेसिक स्कूलों के परिसर में चल रहे आंगनबाडी केंद्रों पर बच्चों को बैठने के लिए डेस्क मुहैय्या कराने का फैसला किया गया है। पहले चरण में 118 केंद्रों पर बच्चों के हिसाब से बैठने के लिए डेस्क के साथ खेलने के लिए फॉम मैट भी दिया जाएगा। डीसी प्रशिक्षण श्रवण कुमार बताते हैं कि बेसिक स्कूलों में बच्चों के लिए डेस्क पहले से ही उपलब्ध है। उसी कैंपस में संचालित केंद्रों के बच्चे फर्श पर बैठते हैं। निरीक्षण के दौरान दो तरह की तस्वीर सामने आने पर शासन ने यह कदम उठाया है। बजट आवंटित हो चुका है। जल्द ही टेंडर के माध्यम से डेस्क की खरीद-फरोख्त कर केंद्रों को उपलब्ध कराई जाएगी।
जिले में 3472 केंद्रों में साढ़े तीन लाख बच्चे जिले में 3472 आंगनबाड़ी केंदों को संचालन हो रहा है। इन केंद्रों पर छह से छोटे बच्चों का पंजीयन है। ऐसे बच्चों की संख्या लगभग साढ़े तीन लाख के करीब है। एक भी केंद्र पर बैठने के लिए मुकम्मल टाट-पट्टी तक नहीं है। अब बेसिक स्कूलों के कैंपस में संचालित केंद्रों पर डेस्क व मैट मुहैय्या होने पर अन्य केंद्रों पर भी ऐसी व्यवस्था होने के आसार जग गए हैं। डीपीओ राजकपूर का कहना है कि पूर्व में भी ही केंद्रों पर बेंच व डेस्क की उपलब्धता को लेकर कदम उठाए गए हैं।
परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में अवस्थित (को-लोकेटेड) 12879 आंगनबाड़ी केन्द्रों हेतु बच्चों के प्रयोगार्थ फर्नीचर (शिशु डेस्क) क्रय के सम्बन्ध में