छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे आयोग और बोर्ड
प्रयागराज शिक्षक दिवस पर रविवार को सर्जनपीठ की ओर से ऑनलाइन परिसंवाद आयोजित किया गया। शिखर से शून्य की ओर सारस्वत पथ श्रृंखला के तहत हुए आयोजन में वक्ताओं ने शिक्षा, प्रशिक्षा और परीक्षा में परिव्याप्त भ्रष्टाचार उत्तरदायी कौन? विषय पर विचार व्यक्त किए।
भाषाविद् आचार्य पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने कहा कि मैं तो सामान्य परीक्षा से लेकर विशेष परीक्षाओं के प्रश्नपत्रों में किए गए अशुद्ध, अनुपयुक्त प्रश्न और उत्तर-विकल्प पर प्रश्न उठाता आ रहा हूं। लेकिन संबंधित आयोग, बोर्ड, अकादमी और संस्थान के अधिकारियों के लिए मानो सामान्य विषय हो। इसके पीछे कई कारक जुड़े हुए हैं। इसके लिए आयोगों की कुत्सित व्यवस्था ही जिम्मेदार है। विद्यार्थी, अभ्यर्थी तथा परीक्षार्थी संशय की स्थिति में हैं और अपने भविष्य के प्रति आशंकित भी हैं।
आर्यकन्या पीजी कॉलेज की डॉ. मुदिता तिवारी ने कहा कि भ्रष्टाचार के मूल में धन और शक्ति की महत्त्वाकांक्षा है। कई बार सरकारी दबाव और उच्चाधिकारियों का भय भी कारक तत्व होता है। रायबरेली की आरती जायसवाल ने कहा कि आज शिक्षा ग्रहण करने का उद्देश्य सीखना न होकर, येन-केन-प्रकारेण अधिक से अधिक अंक लाना रह गया है। कानपुर की डॉ. सोनम सिंह, राघवेन्द्र कुमार त्रिपाठी, आगरा की शिक्षिका राजश्री यादव ने भी विचार व्यक्त किए।