प्रदेश में इन दिनों पोषण माह के तहत कुपोषित नौनिहालों और गर्भवतियों के स्वास्थ्य पर सरकार का खासा जोर है। यह बात और है कि धरातल पर पात्र पोषाहार से वंचित हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों की जिम्मेदारी है कि गांव के कुपोषित बच्चों और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य का ख्याल रखें और नियमित रूप से उनकी जांच करवाएं और पोषाहार उपलब्ध कराएं। जबकि अधिकांश केंद्र बंद ही रहते हैं। बच्चों को पोषाहार के नाम पर सूखा आहार मिल रहा है। ऐसे में कुपोषण के खिलाफ जंग बेमानी साबित हो रही है। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान की टीम ने शुक्रवार को पोषण माह की हकीकत खंगाली तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
बारा में पांच हजार बच्चे कुपोषित खाने को मिलता है सूखा आहार
बच्चे हैं नहीं, डकार जा रहे हैं पोषाहार
जगतपुर। सैदाबाद ब्लॉक अंतर्गत चांदोपारा की दो आंगनवाड़ी केंद्र पर सिर्फ एक बच्चा केंद्र पर दिखाई पड़ा। चांदोपारा पंचायत भवन के पास आंगनवाड़ी केंद्र बना हैं। इस आंगनवाड़ी केंद्र पर दो आंगनवाड़ी केंद्र चलाए जाते हैं। शुक्रवार को हिंदुस्तान टीम हकीकत जानने केंद्र पर पहुंची तो मात्र एक बच्चा केंद्र पर दिखाई पड़ा। एक केंद्र की कार्यकत्री फूलन देवी बच्चों की संख्या पर बताया कि आज 20 बच्चों की उपस्थिति है। लेकिन सब संविलियन विद्यालय चांदोपारा में खाना खाने गए हैं। संविलियन विद्यालय चांदोपारा में वहां मौजूद हेड मास्टर मसूरिया दीन से जब यह सवाल पूछा गया कि क्या आपके यहां आंगनवाड़ी केंद्र के बच्चे खाना खाने आए हैं। उन्होंने कहा कि कभी कभार दो चार बच्चे आ जाते हैं। इसी प्रकार संविलियन विद्यालय चतुर्भुजपुर में चल रहे आंगनवाड़ी केंद्र में बच्चों की संख्या बहुत कम रही। इस सवाल पर आंगनवाड़ी कार्यकत्री ने कहा कि बच्चों को चुराने की अफवाह से बच्चे नहीं आ रहे हैं। बच्चों और धात्री एवं गर्भवती महिलाओं के लिए यह जनकल्याणकारी योजना ज्यादातर कागज पर चलाए जा रहे हैं। पोषाहार वितरण ना कर डकार लिया जा रहा है।