यूपी में जल निगम प्रबंधन अपने कर्मचारियों के हितों को देखते हुए अपने यहां तैनात होने वाले आईएएस अफसरों को वेतन नहीं देगा। वह चाहता है कि उनके यहां केवल अतिरिक्त प्रभार के रूप में आईएएस अफसरों की तैनाती की जाए, जिससे उनका वेतन शासन स्तर से निकाला जाए और उस पर भार कम हो। बताया जा रहा है कि शासन से इस पर सहमति बन गई है।
जल निगम प्रबंधन ने इस संबंध में शासन से अनुरोध करते हुए तर्क दिया कि आईएएस और पीसीएस अफसरों का वेतन अधिक होता है। मौजूदा समय जल निगम में प्रबंध निदेशक के साथ ही संयुक्त प्रबंधक निदेशक के पदों पर भी आईएएस अफसरों की तैनाती होती है। वित्तीय स्थिति ठीक न होने से जल निगम के ऊपर यह अतिरिक्त है। जल निगम ने शासन से अनुरोध किया कि आईएएस अफसरों को शासन में अतिरिक्त तैनाती देने पर विचार किया जा सकता है। इससे व्ययभार कुछ कम हो सकता है।
आईएएस अफसरों को अतिरिक्त प्रभार पर सहमति
जल निगम के अनुरोध के बाद शासन स्तर पर सहमति बनी है कि संयुक्त प्रबंध निदेशक के पद पर कार्यरत आईएएस को विशेष और इसी प्रकार अन्य विभागों से जल निगम में तैनात अधिकारियों को प्रबंध निदेशक के नियंत्रण में रखकर अतिरिक्त प्रभार देकर वेतन की समस्या का समाधान किया जाए। प्रमुख सचिव नगर विकास इस संबंध में जल्द ही विस्तृत आदेश जारी करेंगे। इसके पहले भार कम करने के लिए जल निगम के 1238 कर्मियों को विभिन्न निकायों में समायोजित किया जा चुका है।
50 करोड़ की सीमा खत्म करने का अनुरोध
जल निगम निर्माण शाखा सीएंडडीएस निर्माण संबंधी काम कराने की एजेंसी है। पहले इसे असीमित लागत के काम कराने का अधिकार था, लेकिन 13 दिसंबर 2019 को 50 करोड़ की सीमा तय कर दी गई। इस सीमा को समाप्त करने का अनुरोध किया गया है।
कर्मचारियों को वेतन मिलने की राह आसान होगी
जल निगम में तैनात कर्मियों और सेवानिवृत्त होने वालों के वेतन की सबसे बड़ी समस्या है। इनकी देनारियों को समाप्त करने के लिए जल निगम को 100 करोड़ से अधिक की जरूरत है। इसीलिए अन्य विकल्पों के सहारे वेतन और पेंशन की समस्या का समाधान किया जा रहा है।