सहारनपुर जनपद में मिड-डे मील योजना के आर्थिक संकट का खामियाजा शिक्षकों को भुगतना पड़ रहा है। देहात में शिक्षकों द्वारा योजना पर खर्च किए जा रहा पैसा विभाग द्वारा पूरी मात्रा में नहीं दिया जा रहा है। अनेक जगहों पर शिक्षकों को खर्च की तुलना में 30 से 40 फीसदी कम का भुगतान हो रहा है। ऐसे में शिक्षक जिन दुकानदारों से रामान उठा रहे हैं, वहां हजारों रुपये की देनदारी हो गई है। खास बात यह है कि बच्चों को अनिवार्य रूप से दिए जाने वाले फलों का पैसा 14 महीने से नहीं आया है। शिक्षक अपनी जेब से फल खरीदकर बच्चों को उपलब्ध करा रहे हैं।
मिड-डे मील योजना बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित परिषदीय एवं एडेड विद्यालयों और माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित राजकीय एवं एडेड विद्यालयों में लागू है, जहां आठवीं तक के विद्यार्थियों को भोजन दिया जाता है। नगर क्षेत्र के विद्यालयों में एनजीओ के माध्यम से तैयार भोजन की आपूर्ति की जाती है, जबकि देहात के विद्यालयों में राशन की खरीदारी कर रसोई माता के द्वारा वहीं पर भोजन तैयार किया जाता है।
मिड-डे मील के लिए विद्यालयों मैं ग्राम प्रधान और प्रधानाध्यापक का संयुक्त बैंक खाता (मध्याहन भोजन निधि) रहता है, जिसमें मिड-बैं मील के खर्च का पैसा आता है। लेकिन बीते कई माह से यह पैसा खर्च की तुलना में 30 से 40 फीसदी कम आ रहा है, जिसकी वजह से सभी विद्यार्थियों को मैन्यू के हिसाब से पर्याप्त मात्रा में भोजन उपलब्ध कराने में शिक्षकों को अपनी जेब से पैसा खर्च करना या फिर उधार राशन लेकर योजना को आगे बढ़ाना पड़ रहा है। कई शिक्षकों की दुकानदारों पर 50 हजार से एक लाख रुपये तक देनदारी हो गई है। इतना ही नहीं सोमवार और बृहस्पतिवार में विद्यार्थियों को फल देना अनिवार्य है लेकिन अगस्त 2021 से फलों
का पैसा शिक्षकों को नहीं मिल रहा है। यदि शिक्षक विद्यार्थियों को फल उपलब्ध नहीं कराए तो अधिकारी कार्रवाई की चेतावनी देते हैं। ऐसे में शिक्षक अपना पैसा खर्च कर फल उपलब्ध करा रहे हैं।