Home PRIMARY KA MASTER NEWS Fake Post IT Law | फर्जी पोस्ट पर जिम्मेदारी तय होगी, पांच सवालों से समझिए नए आईटी नियमों में हुए संशोधन

Fake Post IT Law | फर्जी पोस्ट पर जिम्मेदारी तय होगी, पांच सवालों से समझिए नए आईटी नियमों में हुए संशोधन

by Manju Maurya

फर्जी पोस्ट पर जिम्मेदारी तय होगी, पांच सवालों से समझिए नए आईटी नियमों में हुए संशोधन

2021 में केंद्र ने आईटी नियमों को अधिसूचित किया था

30 दिनों के अंदर अपीलीय समिति में कर सकेंगे शिकायत

नई दिल्ली । देश में जारी किए गए आईटी नियमों से जुड़े नए दिशा-निर्देशों से डिजिटल माध्यम पर सक्रिय नागरिकों के हितों की रक्षा होगी। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने शनिवार को नए नियमों के बारे में बातचीत करते हुए कहा कि इन नियमों से गुमराह करने वाले कंटेट पर जिम्मेदारी तय करने का काम किया जाएगा। साथ ही 72 घंटे के भीतर आपत्तिजनक कंटेट सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटाने की व्यवस्था होगी।

सरकार का दावा है नए आईटी नियमों से सोशल मीडिया कंपनियों पर और अधिक सावधानी बरतने की व्यवस्था की गई है कि उनके प्लेटफॉर्म पर कोई भी गैरकानूनी सामग्री या गलत सूचना पोस्ट न की जाए।

राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि सरकार इस बात से परिचित है कि नागरिकों की तरफ से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से जुड़ी समस्या का निपटारा नहीं किया जाता है। उन्होंने कहा है, सरकार चाहती है, सोशल मीडिया कंपनियां डिजिटल नागरिकों के हितों को सुनिश्चित करने के लिए भागीदार के रूप में काम करें। नए नियमों में उनकी जिम्मेदारी बढ़ गई है। उन्हें ये प्रयास करना होगा कि कोई भी गैरकानूनी सामग्री प्लेटफॉर्म पर पोस्ट न हो।

नए नियमों में स्पष्ट है कि कंपनी किसी भी देश की क्यों न हो, वो भारत में काम करते हुए यहां की नियमों का और यहां के नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करेगी। केंद्र ने शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से जुड़ी शिकायतों पर समिति बनाने का ऐलान किया था। शिकायत अधिकारी के निर्णय से असहमत व्यक्ति, अधिकारी से सूचना मिलने से 30 दिनों में अपीलीय समिति में शिकायत कर सकता है

वहीं, सुनिश्चित करना होगा मध्यवर्ती अपने उपयोक्ता को हिंदी, अंग्रेजी या संविधान की आठवी अनुसूची में विनिर्दिष्ट उसकी पसंद की भाषा में नियम और गोपनीयता की शर्तों को भी बताए। ये भी प्रयास करेगा कि उसके कम्प्यूटर, मोबाइल का प्रयोग ऐसी जानकारी साझा करने को न किया जाए जो अन्य व्यक्ति से संबंध रखती हो व जिसके प्रति उपयोक्ता के पास अधिकार नहीं है।

पांच सवालों से समझिए नए आईटी नियमों में संशोधन

केंद्र ने आईटी नियमों में बदलाव करते हुए अपीलीय समिति बनाने की घोषणा की है। सूचना और इलेक्ट्रॉनिक्स प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा जारी गजट अधिसूचना में कहा गया है कि तीन सदस्यीय शिकायत अपील समिति तीन महीने में स्थापित की जाएगी। सरकार का तर्क है कि यह फैसला सोशल मीडिया उपयोग करनेवालों के अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए लिया गया है।

  1. आईटी नियमों में क्या संशोधन हुए हैं

सरकार ने फरवरी 2021 में आईटी नियमों को अधिसूचित किया था। जिसमें, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को शिकायत अधिकारी नियुक्त करने का प्रावधान था। शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत करने के लिए अधिसूचना के माध्यम से सरकार ने नियमों में संशोधन किया है। इसके •अनुसार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को 24 घंटे में शिकायतों को स्वीकार करने और उसके बाद 15 दिनों के भीतर उनका समाधान करना होगा। ये शिकायतें बाल यौन शोषण सामग्री, ट्रेडमार्क, पेटेंट उल्लंघन, गलत सूचना, आपत्तिजनक सामग्री हो सकती हैं।

  1. अपीलीय समिति कब गठित होगी

सरकार की ओर से तीन महीने में अपीलीय समितियों का गठन किया जाएगा। ये समितियां मेटा (फेसबुक) व ट्विटर जैसी सोशल मीडिया कंपनियों द्वारा सामग्री के मॉडरेशन के संबंध में किए गए फैसलों की समीक्षा करेंगी। यदि उपयोगकर्ता कंपनी के शिकायत अधिकारी द्वारा लिए गए सामग्री मॉडरेशन निर्णय से संतुष्ट नहीं है, तो वे उस निर्णय को अपील समिति के समक्ष अपील कर सकते हैं। वर्तमान में उपयोगकर्ता के पास अदालतों का दरवाजा खटखटाने का ही रास्ता है।

  1. शिकायत समिति में कौन होंगे

प्रत्येक शिकायत अपील समिति में एक अध्यक्ष और केंद्र द्वारा नियुक्त दो पूर्णकालिक सदस्य होंगे, जिनमें से एक पदेन सदस्य होगा और दो स्वतंत्र होंगे। संशोधन सोशल मीडिया कंपनियों की जिम्मेदारी तय करेंगे ताकि मंच पर कोई भी गैरकानूनी सामग्री या गलत पोस्ट न हो।

  1. सरकार का यह फैसला क्यों

तर्क है कि सरकार को लोगों से लाखों संदेश मिले हैं जिनमें सोशल मीडिया कंपनियों पर उनकी शिकायतों का समुचित निवारण नहीं करने की बात कही गई है। यह स्वीकार करने लायक नहीं है। ये समितियां सोशल मीडिया के फैसले को पलट भी सकेंगी। सरकार ने स्पष्ट किया है कि सोशल मीडिया कंपनियां नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को कमजोर नहीं करेंगी।

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