रायबरेली जर्जर स्कूल भवनों में बच्चों को बैठाना खतरे से खाली नहीं है। इसीलिए बच्चों को जर्जर भवनों में न बैठाया जाए। ऐसे भवनों में पढ़ई और आवागमन रोक दिया जाए। अब विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों और इंचार्ज हेडमास्टरों से इस बाबत प्रमाणपत्र मांगा गया है।
उन्हें लिखकर देना होगा कि जर्जर भवन में बच्चे को नहीं बैठाया जा रहा है। सभी स्कूलों से प्रमाणपत्र आने के बाद बीएसए को भी यही लिखकर देना होगा और इस बाबत प्रमाणपत्र राज्य परियोजना कार्यालय भेजना होगा। इसके बाद भी कहीं पर जर्जर भवनों में बच्चे पढ़ते या आते जाते हुए मिले तो कार्रवाई की जाएगी महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने कहा है कि सभी चिह्नित जर्जर विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों / इंचार्ज हेडमास्टरों से प्रमाणपत्र लेकर जिला स्तर पर सुरक्षित रख लिया जाए कि जर्जर दोदों में पहन-पाठन आवागमन रोक दिया गया है। बच्चों के पठन-पाठन की वैकल्पिक व्यवस्था सुरक्षित स्थल या भवन में कर दी गई है। बीएसए को भी 10 नवंबर तक प्रमाणपत्र अनिवार्य रूप से राज्य परियोजना कार्यालय भेजना होगा। महानिदेशक का कहना है कि क्षतिग्रस्त जर्जर भवनों की वजह से से छात्र-छात्राओं के साथ कोई भी अप्रिय घटना होने की आशंका बनी रहती है। (संवाद)