उत्तर प्रदेश में शिक्षक फर्जीवाड़ा होना आम बात है। इसी क्रम में दूसरे के दस्तावेज पर नौकरी पाने वाली दो शिक्षिकाएं नौकरी कर रही थीं। जांच में सामने आया कि गोरखपुर और मऊ में कार्यरत असली शिक्षिकाओं के अभिलेख और पैन कार्ड की मदद से नौकरी पाई थी।
एक शिक्षिका 28 साल से तो दूसरी 25 साल से नौकरी कर रही थी। प्रशासन ने दोनों को बर्खास्त कर आहरित वेतन की रिकवरी और एफआईआर दर्ज कराने का निर्देश दिया है।
बीएसए कार्यालय बस्ती के मुताबिक गौर ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय महुआ डाबर में तैनात प्रधानाध्यापिका प्रेमलता सिंह के खिलाफ गोरखपुर में शिकायत मिली थी। शिकायत में कहा गया था कि असली प्रेमलता सिंह पूर्व माध्यमिक विद्यालय भीतहा,ब्लॉक कौड़ीराम, गोरखपुर में कार्यररत है। इस मामले की जांच में सामने आया कि अभिलेखों का दुरुपयोग 3 दिसंबर साल 1997 में यानी 25 साल पहले किया गया था।
वहीं, बस्ती के सल्टौआ ब्लॉक के पूर्व माध्यमिक विद्यालय दसिया में नियुक्त अध्यापिका अनीता सिंह का भी फर्जी पैन कार्ड पकड़ा गया। खंड शिक्षा अधिकारी को शिकायत मिली थी। दरअसल इसी पैन कार्ड पर अनीता सिंह के नाम की एक अध्यापिका कम्पोजिट विद्यालय ख्वाजा जहांपुर, मऊ में भी कार्यरत हैं। प्रकरण में जब बीएसए ने जांच की तो बस्ती में कार्यरत अनीता सिंह के फर्जी तरीके से 13 नवंबर साल 1994 में नौकरी हासिल करने का मामला सामने आया। दोनों मामला सामने आने पर शिक्षिकाओं की सेवा समाप्त कर दी गई और दी गई अब तक की वेतन को रिकवरी करने का आदेश दिया गया।