शहीद की बहन-बेटी भी अनुकंपा नियुक्ति की हकदार
मूलत यह नियम पुरुष केंद्रित हैं जो कि आज के हिसाब से गैर जरूरी हैं। आज इन नियमों को जेंडर न्यूट्रल बनाए जाने की जरूरत है। इसलिए ऐसे हालात में बेटी और सभी बहन को भी मौका मिलना चाहिए।
-संसदीय समिति
वीर नारी (वार वीडोज) हैं मौजूदा समय में, यह जानकारी रक्षा मंत्रालय की तरफ से मिली
● हाल ही में समिति ने इस पर अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी है
● समिति ने कहा, बहुत पुराने नियमों की समीक्षा तक नहीं की गई है
● मदन जैड़ा
नई दिल्ली। सेना में कई स्तरों पर सुधार के कार्य चल रहे हैं। इसी कड़ी में शहीद जवान के एक बेटे या भाई को अनुकंपा के आधार पर सेना में तुरंत मिलने वाली नियुक्ति को उसकी बेटी या बहन तक विस्तारित किया जा सकता है। रक्षा मंत्रालय की संसदीय समिति की सिफारिश के बाद सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है। समिति ने इस तरह की नियुक्ति को जेंडर न्यूट्रल बनाने की सिफारिश की थी।
मौजूदा नियमों के मुताबिक यदि जेसीओ या किसी भी रैंक का जवान युद्ध में शहीद होता है तो सेना तत्काल उसके एक बेटे को सेना में नियुक्ति प्रदान करती है। यदि उसकी उम्र कम है तो उसे इंतजार करना होता है। लेकिन बेटी की नियुक्ति का विकल्प अभी नहीं है। यदि शहीद हुआ जवान अविवाहित है तो उसके एक सगे भाई को यह मौका दिया जाता है लेकिन सभी बहन के लिए विकल्प नहीं है। लेकिन यदि शहीद विवाहित था लेकिन कोई बच्चे नहीं हैं या लड़का नहीं है, या छोटा है तो भी सगे भाई को मौका दिया जाता है लेकिन शर्त यह होती है कि वह शहीद की विधवा से शादी करे।
इस मुद्दे पर रक्षा मंत्रालय की संसदीय समिति ने पिछले दिनों काफी गहन विचार-विमर्श किया। समिति ने हाल में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये नियम बहुत पुराने हैं तथा लंबे समय से इनकी समीक्षा नहीं की गई है। दूसरी तरफ सेना से जुड़े सूत्रों ने कहा कि यह सिफारिश महत्वपूर्ण है। दरअसल, ये नियम बहुत पुराने हैं तथा तब सेना में महिलाओं की भर्ती भी नहीं होती थी। आज तीनों सेनाओं में महिलाओं की सैनिकों के रूप में भर्ती हो रही है, इसलिए इस सिफारिश पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।
सेना के पास कोई आंकड़ा नहीं मौजूदा नियमों के चलते इस योजना का लाभ सभी शहीद सैनिकों के परिजनों को नहीं मिल पाता है। समिति के समक्ष नौसेना ने बताया कि 2014 से शहीदों के परिजनों को 35 नियुक्तियां दी गई हैं। जबकि वायुसेना ने 2016 से कुल 30 नियुक्तियां दी हैं। समिति ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया है और सेना से कहा है कि वह ऐसी नियुक्तियों के आंकड़े तैयार करे और समिति के समक्ष भी रखे।