लखनऊः भाषा बहुत दुषित हो गई है, जैसा बोलते हैं, वैसा लिखते नहीं, जैसा लिखते हैं, वैसा उच्चारण नहीं करते। इसमें सुधार की आवश्यकता है। हिंदी में व्याकरण के कुछ नियम हैं, जिनका हमें पालन करना ही चाहिए। यह कहना है हिंदी भाषा विशेषज्ञ डा. पृथ्वीनाथ पांडेय का, जो गुरुवार को भाषा परिष्कार समिति की ओर से हिंदी भाषा व्यवहार विषय पर आनलाइन कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। दीन दयाल उपाध्याय राज्य ग्राम्य विकास संस्थान बीकेटी में हुई कार्यशाला में उपनिदेशक, सहायक निदेशक, वरिष्ठ प्रशिक्षक, शोध सहायकों ने प्रतिभाग किया।
दो घंटे की कार्यशाला में उन्होंने कार्यालय में सही हिंदी लिखने और पढ़ने का प्रशिक्षण दिया। इस दौरान
संस्थान के अधिकारियों से उन्होंने क, ख, ग, घ भी पढ़वाया। गलत उच्चारण पर टोका भी ।
कार्यशाला की मुख्य बातें-
प्रश्न ‘पूछिए ‘ की जगह, प्रश्न ‘कीजिए’ सही है।
मत के साथ प्रचंड या भारी शब्द जोड़ना गलत है, बहुमत लिखना पर्याप्त है। संख्या की गणना होती है, वह बड़ी या छोटी हो सकती है। संख्या भारी नहीं होती है।
• आधे अक्षर पर कभी मात्रा नहीं लगाते हैं ।
• हवा चलती है लिखना सही, बहती लिखना गलत। हवा का बहुवचन नहीं होता ।
• जल बहता है, लिखना सही है।
• फूल नहीं, कलियां खिलती हैं।