प्रदेश में 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले से जुड़े 19 हजार सीटों पर हुए चयन में एकल पीठ के बीते 13 मार्च के फैसले को आरक्षण के मुद्दे पर चुनौती देकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में विशेष अपील दायर हुई है। इसपर दो न्यायाधीशों की खंडपीठ के समक्ष 25 अप्रैल को सुनवाई होगी। यह अपील खुद को आरक्षण पीड़ित बताने वाले 13 अभ्यर्थियों ने दायर की है। इन आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों का कहना है कि इस भर्ती में 19000 के आसपास सीटों पर आरक्षण का कथित घोटाला हुआ है। कहा कि बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 तथा आरक्षण नियमावली 1994 का उल्लंघन कर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की इस भर्ती में ठीक तरह से ओवरलैपिंग नहीं कराई गई है जो पूरी तरह से गलत है।
प्रत्येक भर्ती की एक मूल चयन सूची बनाई जाती है लेकिन इस भर्ती प्रक्रिया में अभ्यर्थियों के गुणांक, कैटेगरी, सबकैटिगरी आदि को छुपाकर जिला आवंटन सूची पर इस भर्ती प्रक्रिया को संपन्न कर दिया गया जो पूरी तरह से गलत है। राज्य सरकार ने इस भर्ती की मूल चयन सूची आज तक जारी नहीं की जबकि प्रत्येक भर्ती की एक मूल चयन सूची जारी की जाती है। जिसमें अभ्यर्थियों के गुणांक , कैटागरी, सबकैटिगरी आदि को दर्शाया जाता है तथा इसे विभाग की साइट पर अपलोड किया जाता है लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग ने ऐसा नहीं किया ऐसी स्थिति में सरकार को इस भर्ती की पूरी मूल चयन सूची सभी वर्गों का आरक्षण दिखाकर एवं नियमावली के नियमानुसार ओवरलैपिंग की प्रक्रिया को दर्शा कर इस भर्ती की मूल चयन सूची जारी करनी चाहिए थी।
13 मार्च को एकल पीठ ने सरकार को इस भर्ती की पूरी लिस्ट को सही करने के लिए जो 3 महीने का समय दिया है। उसमे एटीआरई को सिलेक्शन पार्ट बताकर इस भर्ती प्रक्रिया की लिस्ट को सही तरीके से बनाने का जो आदेश दिया है। जब सहायक अध्यापक लिखित परीक्षा( एटीआरई), परीक्षा चयन का हिस्सा न होकर यह एक पात्रता परीक्षा है, तो इस भर्ती प्रक्रिया की सूची सरकार 3 महीने में मूल चयन सूची के रूप में कैसे बना सकती है। यह संभव ही नहीं है। इस दलील के साथ आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों ने लखनऊ पीठ की डबल बेंच में सिंगल बेंच के आदेश को चुनौती देते हुए विशेष अपील दाखिल की है। जो 25 अप्रैल को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।