पीएफ में ऊंचे रिटर्न के लिए निवेश नियम बदला
नई दिल्ली, । कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने अंशाधारकों को ऊंचा रिटर्न देने और बाजार की अस्थिरता से अपनी आय को बचाने के लिए एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) में निवेश की निकासी की नीति को संशोधित करने का फैसला किया है।
मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड की हालिया बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की गई और बाद में इसे मंजूरी दे दी गई। ईपीएफओ ने इसके तहत ईटीएफ की यूनिट की निकासी करने से पहले उनकी न्यूनतम होल्डिंग अवधि को चार साल से अधिक बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। वर्तमान में इन ईटीएफ की यूनिट को चार साल में भुनाया जाता है।
अपने निवेश दिशानिर्देशों के तहत, ईपीएफओ इक्विटी और संबंधित निवेशों में अपनी आय का पांच से 15 फीसदी के बीच निवेश कर सकता है। इसने अगस्त 2015 में ईटीएफ के माध्यम से इक्विटी में नई आय का पांच फीसदी निवेश के निर्णय के बाद शेयरों में निवेश बढ़ाना शुरू किया।
ईपीएफओ अधिक अंशदान के लिए सहमति का प्रमाण न मांगे
कोच्चि, एजेंसी। केरल हाईकोर्ट ने ईपीएफओ से कहा है कि कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को पूर्व सहमति का प्रमाण प्रस्तुत किए बिना अधिक अंशदान का विकल्प चुनने की अनुमति दे। इसके लिए कोर्ट ने ईपीएफओ को ऑनलाइन प्रणाली में प्रावधान करने का निर्देश भी दिया।
न्यायमूर्ति जियाद रहमान ए.ए ने कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह अंतरिम आदेश दिया। इसमें कहा गया कि उल्लेखित सुविधाएं उच्च न्यायालय के 12 अप्रैल के आदेश की तारीख से 10 दिनों के भीतर उपलब्ध कराई जाएं। याचिका में कहा गया था कि अधिक योगदान का विकल्प चुनते समय पूर्व अनुमति की एक प्रति देनी होती है, जो ईपीएफ योजना, 1952 के तहत अनिवार्य है।
सरकारी बॉन्ड से अधिक मुनाफा देने की तैयारी
ईपीएफओ ईटीएफ इकाइयों की निकासी सीमा को सरकारी बॉन्ड से भी जोड़ सकता है। योजना के तहत, जिन इकाइयों को भुनाया जाना प्रस्तावित है, उनकी होल्डिंग-पीरियड रिटर्न 10 साल के बेंचमार्क सरकारी बॉन्ड से कम से कम 2.50 फीसदी अधिक होनी चाहिए। साथ ही रिटर्न निफ्टी या सेंसेक्स के आधार पर औसत पांच साल के रिटर्न से ऊपर होना चाहिए।