यूपी : स्थानांतरण नीति में एक अप्रैल 2024 हो सकती है 3 साल की कट ऑफ डेट, ऐसे में काफी कम कार्मिक आएंगे दायरे में
लखनऊ। यूपी की नई स्थानांतरण नीति में जिले के भीतर तीन साल अवधि की गणना 1 अप्रैल 2024 से हो सकती है। अन्य वर्षों की तरह यह कट ऑफ डेट 1 अप्रैल 2023 माने जाने से काफी कम कार्मिकों के इस दायरे में आने की संभावना है। इसलिए इस विकल्प पर भी गंभीरता से विचार किया जा रहा है।
प्रदेश में शीघ्र ही नई स्थानांतरण नीति आएगी, जो सभी विभागों और सरकारी कर्मियों पर लागू होगी। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, यह नीति 20 मई तक आ जाएगी। स्थानांतरण के लिए 30 जून तक का समय मिलेगा। जिले में तीन साल और मंडल में 7 साल पूरे कर चुके समूह क व ख के अधिकारियों को जिले या मंडल से बाहर भेजा जाएगा।
अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं। आचार संहिता लागू होते ही चुनाव आयोग पिछले चार साल में से तीन साल एक ही जिले में रहने वाले वाले अधिकारियों को स्थानांतरित करने के लिए कहता है, बशर्ते उनकी जिम्मेदारी चुनाव से संबंधित हो । इसको ध्यान में रखते हुए भी नई नीति में यह व्यवस्था रहेगी कि जिन कर्मियों के 1 अप्रैल 2024 को तीन साल पूरे होने वाले हों, उन्हें अभी से दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया जाए।
वर्ष 2023-24 के लिए जल्द ही नई तबादला नीति लाने की तैयारी
विभागाध्यक्षों को एक माह मिलेगा तबादले का मौका
● मुख्यमंत्री को भेजा गया नई तबादला नीति का प्रस्ताव●
तबादला रुकवाने की कोशिश की तो कार्रवाई
आकांक्षी जिलों में सभी पद भरना अनिवार्य होगा
केंद्र सरकार की ओर से प्रदेश में घोषित किए गए आठ आकांक्षी जिलों चित्रकूट, चंदौली, सोनभद्र, फतेहपुर, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, श्रावस्ती व बहराइच और बुंदेलखंड के सभी सात जिलों झांसी, ललितपुर, हमीरपुर, जालौन, बांदा, चित्रकूट व महोबा में हर विभाग को सभी पदों पर प्रत्येक दशा में तैनाती करते हुए उन्हें भरना अनिवार्य किया जाएगा।
कर्मियों का ऑनलाइन डेटा फीड करना होगा
कर्मियों के तबादले में ऑनलाइन को अधिक महत्व दिया जाएगा। इसीलिए सभी विभागों को यह भी निर्देश दिया जाएगा कि अधिकारियों और कर्मचारियों का पूरा ब्यौरा ऑनलाइन फीड कर लिया जाए, जिससे साफ्टवेयर के आधार पर तबादला किया जाएगा। इससे तबादले में गड़बड़ी और धांधली की संभावना कम हो जाएगी।
लखनऊ, विशेष संवाददाता। राज्य सरकार वर्ष 2023-24 के लिए जल्द ही नई तबादला नीति लाने जा रही है। इस बार विभागाध्यक्षों को करीब एक माह तबादला करने का मौका दिया जाएगा। पिछली बार उन्हें केवल 15 दिन का ही मौका मिला था। स्थानांतरित होने वाले कर्मियों को जुलाई में नई तैनाती स्थल पर कार्यभार ग्रहण करना होगा। तबादला रुकवाने या फिर कार्यभार ग्रहण करने में देरी करने वाले कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री से मंजूरी के लिए कार्मिक विभाग ने तबादला नीति का प्रस्ताव भेज दिया है। उनकी मंजूरी के बाद विभागों से राय लेने के बाद इसे कैबिनेट से मंजूर कराया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि ये सभी प्रक्रियाएं इसी माह पूरी कर ली जाएंगी, जिससे जून में स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू हो सके।
प्रस्तावित नीति के मुताबिक राज्य सरकार के अधिकारियों व कर्मचारियों के तबादले 30 जून तक किए जा सकेंगे। विशेष परिस्थितियों में मुख्यमंत्री की अनुमति पर कुछ समय-सीमा और बढ़ाई जा सकती है। यह नीति एक साल के लिए होगी। समूह ‘क’ और ‘ख’ के अधिकारियों के जिले में तीन वर्ष और मंडल में सात वर्ष पूरे होने पर तबादले किए जाएंगे। स्थानांतरित किए जाने वाले समूह ‘क’ और ‘ख’ के अधिकारियों की संख्या संवर्गवार कार्यरत अधिकारियों की कुल संख्या का अधिकतम 20 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है।
समूह ‘ग’ और ‘घ’ के कार्मिकों के स्थानांतरण के संदर्भ में यह संख्या संवर्गवार कार्यरत कार्मिकों की संख्या का अधिकतम 10 प्रतिशत रखने की योजना है। समूह ‘ख’ और ‘ग’ के कार्मिकों के स्थानांतरण यथासंभव मेरिट के आधार पर ऑनलाइन ट्रांसफर सिस्टम के आधार पर करने का प्रस्ताव है। पुरानी नीति की तरह इस साल भी हर तीन साल पर समूह ‘ग’ के कार्मिकों का पटल-क्षेत्र परिवर्तन किया जाएगा। मतलब एक ही पटल पर कोई कर्मचारी तीन साल से है तो उसका पटल बदल दिया जाएगा। कार्मिक विभाग का मानना है कि एक ही पटल पर सालों से काम करने से धांधली की संभावना बढ़ जाती है और कर्मचारी मनमानी करने लगता है।