किताबों के लिए नहीं मिल रहे प्रकाशक
कभी प्रकाशन अधिकार लेने को होती थी होड़
प्रयागराज। यूपी बोर्ड की किताबों के प्रकाशन का अधिकार लेने के लिए कभी प्रकाशकों में होड़ लगी रहती थी लेकिन टेंडर में देरी के कारण एक अप्रैल को नया सत्र शुरू होने के साथ ही अधिकांश विद्यार्थी अनाधिकृत महंगी किताबें खरीद लेते हैं। इसके बाद अधिकृत किताबों की बिक्री बहुत कम होती है और प्रकाशन का अधिकार लेने वाले प्रकाशकों को घाटा उठाना पड़ता है क्योंकि रॉयल्टी के रूप में मोटी रकम देनी पड़ती है।
प्रयागराज, । यूपी बोर्ड की किताबें छापने को प्रकाशक तैयार नहीं हैं। 36 विषयों की अधिकृत 70 एनसीईआरटी की किताबें और 12 नॉन-एनसीईआरटी किताबों के प्रकाशन के लिए प्रकाशक नहीं मिलने के कारण बोर्ड को दोबारा से टेंडर जारी करना पड़ा है।
टेंडर में देरी, अनाधिकृत किताबों की बिक्री और रॉयल्टी की शर्तों से घाटे के कारण प्रकाशकों ने हाथ खींच लिया है। इसके चलते 27 हजार से अधिक स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा नौ से 12 तक के एक करोड़ से अधिक विद्यार्थियों को सस्ती किताबों के लिए और इंतजार करना पड़ेगा।
यूपी बोर्ड के सचिव दिब्यकांत शुक्ल ने 20 मई से नौ जून तक प्रकाशकों से कुल दस वर्गों में आवेदन मांगे थे। नियम यह है कि प्रत्येक वर्ग में कम से कम तीन प्रकाशकों के टेंडर डालने पर ही उन्हें खोला जाता है। नौ जून को टेंडर अवार्ड होने पर 30 जून तक किताबें बाजार में उपलब्ध होनी थी। लेकिन नौ जून तक मानक के अनुसार आवेदन नहीं मिलने के कारण किताबों के प्रकाशन का अधिकार नहीं दिया जा सका। अब बोर्ड सचिव ने 20 जून तक टेंडर आमंत्रित किए हैं।
जुलाई के दूसरे सप्ताह तक किताबें मिलने की उम्मीद प्रयागराज। नौ से 12 तक के विद्यार्थियों को सस्ती किताबें जुलाई के दूसरे सप्ताह में मिलने की उम्मीद है। नौ जून को टेंडर फाइनल होने पर 30 जून तक किताबें बाजार में उपलब्ध होनी थी।