लोक सेवा आयोग ने 100 विशेषज्ञों को किया बाहर
● गोपनीय कार्यों, मूल्यांकन प्रश्नपत्र निर्माण में सुधार की कवायद
● गुणवत्तापूर्ण कार्य न करने वाले विशेषज्ञों पर की गई कार्रवाई
- आयोग के परीक्षा नियंत्रक ने कहा- आगे भी जारी रहेगी समीक्षा
देशभर से विशेषज्ञों को आमंत्रित करता है आयोग
आयोग अपनी भर्ती परीक्षाओं को गुणवत्तापूर्ण तरीके से संपन्न कराने के लिए देशभर से विभिन्न विषय विशेषज्ञों को अपने पैनल में शामिल करता है। इसके लिए समय-समय पर ऑनलाइन आवेदन लिए जाते हैं। इनकी सेवाएं प्रश्नपत्र बनाने, मॉडरेशन, उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन और साक्षात्कार आदि कार्यों में ली जाती है। समय-समय पर इनके कार्यों की समीक्षा भी होती है। पिछले कुछ वर्षों में प्रश्नों को लेकर विवाद होने के बाद प्रतियोगी छात्रों ने गलत प्रश्न पूछने वाले विशेषज्ञों को बाहर करने की मांग की थी।
प्रयागराज, प्रमुख संवाददाता। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने 100 विशेषज्ञों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। विशेषज्ञों के खिलाफ सालभर के अंदर यह दूसरी बड़ी कार्रवाई है। इससे पहले आयोग ने 22 अगस्त 2022 को लगभग 80 विषय विशेषज्ञों को अपने पैनल से बाहर कर दिया था। गुणवत्तापूर्ण कार्य न करने वाले विशेषज्ञों पर कार्रवाई करते हुए आयोग के परीक्षा नियंत्रक अजय कुमार तिवारी ने साफ किया है कि आगे भी समीक्षा जारी रहेगी।
परीक्षा नियंत्रक की ओर से सोमवार को जारी विज्ञप्ति के अनुसार आयोग द्वारा परीक्षा प्रक्रिया में शुचितापूर्ण एवं गुणवत्तापूर्ण सुधार लाने के उद्देश्य से विभिन्न विषयों से सम्बन्धित विशेषज्ञों की सूची की समीक्षा की गई और गुणवत्तापूर्ण कार्य न करने वाले विशेषज्ञों को चिह्नित किया गया।
विभिन्न विषयों से संबंधित 100 विशेषज्ञों को आयोग के गोपनीय कार्यों से विरत किया गया है। विशेषज्ञों की गुणवत्ता की समीक्षा अनवरत चलती रहेगी और समीक्षा के दौरान उनकी गुणवत्ता यथा मूल्यांकन और प्रश्नपत्रों का निर्माण आदि में कोई कमी पाई जाती है तो भविष्य में उनको आयोग के पैनल से विरत किया जाएगा।
गुणवत्ता परखने को बढ़ाया इंटरव्यू बोर्ड का दायरा परीक्षा प्रक्रिया को और भी अधिक गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए यूपीपीएससी ने अपने पैनल में देश के विशिष्ट विशेषज्ञों को शामिल किया है। विशेषज्ञों के पैनल को भी विस्तार देने का प्रयास किया जा रहा है। आयोग ने कुछ समय से पीसीएस के साक्षात्कार में प्राथमिकता के तौर पर विश्वविद्यालयों के कुलपति, पूर्व न्यायाधीश, कार्यरत व पूर्व आईएएस-आईपीएस, सेना में ब्रिगेडियर से ऊपर के अधिकारी, वरिष्ठ वैज्ञानिकों और केंद्र सरकार में क्लास वन अधिकारियों को बुलाना शुरू किया है। पहले सिर्फ विषय विशेषज्ञ (बड़े संस्थानों के प्रोफेसर) के साथ कार्यरत व पूर्व आईएएस-आईपीएस को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता था।