एक ईमानदार शिक्षक का दर्द-–
✍️✍️✍️✍️
जुलाई में विद्यालय खुलते ही मनसपुर गांव के सरकारी विद्यालय के टीचर उत्सुकता से विद्यालय पहुंचे। ग्रीष्मावकाश के बाद विद्यालय खुल चुका था। उन्होंने पूर्व में ही आकर साफ सफाई करा दी थी, अभिलेख व्यवस्थित करके शांत मुद्रा में बैठकर चेहरे पर हल्की मुस्कान लिए वो बच्चों की प्रतीक्षा करने लगे।
तय समय पर प्रार्थना सम्पन्न हुआ तो बच्चों की उपस्थिति देखकर उन्हें बड़ा अचरज हुआ कि बच्चों की संख्या तो नियमित से भी कम है।
उन्होंने सोचा कि शायद कुछ बच्चे कल से आएं या कहीं गए होंगे।
वे मुस्कुराए और छात्र छात्रा उपस्थिति लेकर कक्षा में प्रस्थान किये। उपस्थिति लेते समय उन्हें कक्षा के अन्य बच्चों से पता चला कि कुछ बच्चे जिसमे #करन भी है, वो प्राइवेट विद्यालय में जा रहे हैं, उनका नामांकन वहां हो गया है।
टीचर ने यह सुनकर उपस्थिति लेना बंद कर दिया और एकदम से ही शांत हो गए, उन्हें याद आने लगा कि किस तरह #करन को वो आये दिन घर से बुलाकर लाते, कॉपी देते, पेन देते, कई बार बाल में कंघी करने और नहाने के लिए डांटा भी था, कई बार उसे उसकी फ़टी हुई जेब सिलाने के लिए कहते, और उसके घरवालों से भी उसके विषय मे बात करते।
कैसे उन्होंने करन को समझना सिखाया, कारण खोजना सिखाया, वर्णमाला, हिंदी अंग्रेजी पढ़ना, सिखाया, गणित का बुनियादी ज्ञान कराया।
करन अब कक्षा 2 में चला गया था, वो एक मेधावी छात्र था, अब वो प्राइवेट विद्यालय में कक्षा 1 का छात्र है।*
लेकिन करन के पिता झबरू अत्यंत ही समझदार व्यक्ति थे। जब तक वो सरकारी विद्यालय में आता रहा, उसकी कोई खबर नहीं ली, कलम नहीं, कॉपी नहीं, धुला ड्रेस नहीं, बैग नहीं, 1200 मिला तो विवाह में न्यौता पूरा किया, नहाया या नहीं, कोई मतलब न था।
अब वो करन के प्रति जागरूक हो गए थे, कारण किसी ने करन के बुद्धि की प्रशंसा कर दी थी।
खैर, अगले दिन टीचर फिर विद्यालय पहुंचे, कुछ समय बाद समझदार झबरू जी का विद्यालय में प्रवेश हुआ, पहले उन्होंने
करन की तरक्की के बारे में टीचर से बताया।
अचानक #झबरू ने बात घुमाई और अपनी छोटी बेटी सोनी को आगे कर दिया।
“माट साब एकर नाम लिख लीं”-#झबरू ने कहा।
टीचर शांत हो कर सुनते रहे, उनके अंदर जिस प्रकार के भाव थे, वो बस एक शिक्षक एक गुरु ही समझ सकता है।
कुछ देर शांत रहने के बाद उन्होंने सोनी को अपने पास बुलाकर उसका नाम पूछा और उसे विद्यालय दिखाने के लिए चल पड़े।
#झबरू उन्हें जाते हुए देखता रहा और मुस्कुराता रहा लेकिन किस पर वो बस वही जाने….
एक शिक्षक का एक आम दिन🙏🙏🙏