2022-23 में शिक्षण संस्थाओं की लापरवाही से रह गए थे लाभ से वंचित
अजित बिसारिया
लखनऊ। प्रदेश में अनुसूचित जाति व जनजाति के 58313 छात्रों की शुल्क भरपाई राज्यांश के फेर में फंसकर रह गई है। वर्ष 2022-23 में इन छात्रों को शिक्षण संस्थाओं की लापरवाही समेत कई कारणों से योजना का लाभ नहीं मिल सका था। केंद्र सरकार ने छात्रों को राहत देने के लिए नए वित्त वर्ष में उनके आवेदन को नए सिरे से अग्रसारित करने की अनुमति दे दी थी, पर वित्त विभाग ने अभी तक राज्यांश के भुगतान के लिए हरी झंडी नहीं दी है।
पिछले वित्त वर्ष में एससी-एसटी के तमाम छात्रों को शिक्षण संस्थाओं के स्तर से डाटा फॉरवर्ड न करने रिजल्ट देर से घोषित होने, विश्वविद्यालय व मान्यता देने वाली एजेंसियों के सीटों की संख्या और
केंद्र सरकार ने नए वित्त वर्ष में आवेदन अग्रसारित करने की दे दी थी अनुमि
छात्रों की प्रमाणिकता सत्यापित न करने के कारण इस योजना का लाभ नहीं मिल पाया था। इसके अलावा काफी छात्रों का डाटा पीएफएमएस सॉफ्टवेयर पर पेंडिंग या गलत ढंग से रद्द किए जाने के कारण भी फंसा रहा।
31 मार्च तक भुगतान न होने पर इन छात्रों ने समाज कल्याण निदेशालय में शिकायत की। इसके बाद इस बारे में उच्चस्तर पर विचार- विमर्श के बाद केंद्र सरकार के संबंधित मंत्रालयों से बात की गई। केंद्र से नए सिरे से उनका डाटा भेजने की अनुमति मिलने पर 17-19 अप्रैल तक ऐसे सभी विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति का पोर्टल खोला गया।
कुल 58313 छूटे पात्र छात्रों का ऑनलाइन आवेदन आगे बढ़ाया गया। यहां बता दें कि एससी-एसटी छात्रों को 40 फीसदी भुगतान राज्य सरकार और 60 फीसदी केंद्र सरकार करती है। नियम है कि जब छात्रों के खातों में राज्यांश भेज दिया जाएगा, तब उनका डाटा केंद्रांश के लिए पोर्टल के माध्यम से साझा किया जाएगा। इन छूटे छात्रों के खातों में राज्यांश का 43 करोड़ रुपये भेजकर यह डाटा केंद्र सरकार से साझा करने की अंतिम तिथि 15 जून तय की गई थी, लेकिन अभी तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है।
समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, संबंधित फाइल फिलहाल वित्त विभाग के स्तर पर विचाराधीन है। जैसे ही 40 प्रतिशत राज्यांश खातों में जाएगा, उसके एक सप्ताह के भीतर केंद्रांश भी उनके खातों में आ जाएगा।