69000 शिक्षक भर्ती का मामला: आरोप, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी अनुपालन नहीं
लखनऊ। प्रदेश में परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों के लिए हुई 69000 शिक्षक भर्ती को लेकर विवाद समाप्त होता नहीं दिख रहा है परीक्षा में विवादित प्रश्नों के मामले में शैक्षिक परिभाषा से जुड़े सवाल के चारों विकल्प को गलत मानते हुए 2249 अभ्यर्थियों को एक अंक का लाभ देने का निर्देश पहले हाईकोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट में भी दिया गया। हालांकि अभी तक अभ्यर्थी इसके लिए भटक रहे हैं।
रूप से जुड़े अभ्यर्थियों ने मंगलवार को
बेसिक शिक्षा निदेशालय को बाहर डेरा डाल दिया। उन्होंने कहा कि उनके मामले में मेरिट के अनुसार चयन का आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने 25 अगस्त 2021 को दिया था। सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट गई, जिसे 09 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा। इस आदेश को आए दस माह बीतने पर भी नियुक्ति से वंचित सैकड़ों अभ्यर्थी प्रयागराज और लखनऊ के चक्कर काट रहे हैं। प्रदेश भर से आए अभ्यर्थियों ने बताया कि परीक्षा नियामक प्राधिकारी की ओर से 2249 अभ्यर्थियों को एक नंबर का लाभ
देने के लिए सूची सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को भेजी गई है। इसके बाद भी सचिव के स्तर से कार्यवाही नहीं हो रही है। हमारी मांग है कि हमारे परिणाम में एक नंबर जोड़कर रिजल्ट जारी किया जाए। साथ ही जिला आवंटन फार्म भरवाया जाए।
देर शाम पुलिस ने मध्यस्तता करते हुए अभ्यर्थियों की सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रताप सिंह बघेल से वार्ता कराई। हालांकि कोई निष्कर्ष नहीं निकला। इसके बाद पुलिस उन्हें इको गार्डेन ले गई। धरने में दुर्गेश शुक्ला ने शासन पर जान बूझकर मामले को लंबित रखने का आरोप लगाया।