कम पेंशन की कहां से उपजी चिंता
हिमाचल प्रदेश समेत कई राज्यों के संविदा कर्मचारियों को उनकी सेवा के दौरान बहुत बाद में पूर्णकालिक सरकारी कर्मचारियों के रूप में शामिल किया गया था और योजना से बाहर निकलने के समय एनपीएस से पूर्ण संचय नहीं देखा गया था। एक अधिकारी के मुताबिक ऐसे कई लोग हैं जो बाद में स्कीम का हिस्सा बने हैं। ऐसे में उनमें से कुछ को अदालत के आदेशों के बाद पूरा फायदा नहीं मिल पाएगा। पुरानी पेंशन के तहत, इनमें से कुछ कर्मचारी पेंशन के पात्र भी नहीं होंगे।
नई दिल्ली, हिन्दुस्तान ब्यूरो। अच्छे सेवानिवृत्ति लाभ के लिए एक व्यक्ति को 30 साल या उससे अधिक समय तक निवेशित रहना चाहिए। यह कहना है नेशनल पेंशन सिस्टम यानी एनपीएस से जुड़े जानकारों का। उनके मुताबिक
अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में न मिलना सरकारी कर्मचारियों के बीच चिंता की बात रहती है। हालांकि यह चिंता शुरुआती दिनों में योजना को छोड़ने वाले लोगों को होती है।
वित्त सचिव टीवी सोमनाथन की अध्यक्षता वाली समिति कर्मचारियों के साथ केंद्र और राज्यों के हित सुरक्षित करने के लिए एक फॉर्मूला पर काम कर रही है। एनपीएस ट्रस्ट वेबसाइट पर विश्लेषण से पता चलता है कि कैसे एक अंशधारक की अवधि और सालाना जमा की गई राशि, पूरी सेवा अवधि के लिए एक निश्चित योगदान के साथ भी अंतर पैदा कर सकती है।
विरोध क्यों हो रहा एक अधिकारी के मुताबिक नई पेंशन का विरोध ज्यादातर उन लोगों की ओर से है जो 20 साल पूरे किए बिना ही योजना से बाहर निकल चुके हैं। यहां लाभ का एक बड़ा हिस्सा लंबी अवधि में चक्रवृद्धि से आता है। केंद्र ने जनवरी 2004 से सभी कर्मचारियों के लिए एनपीएस अनिवार्य किया। फिर मनमोहन सरकार के दौरान सभी राज्यों ने इसका पालन किया।