आरोप : बेसिक शिक्षा के निजीकरण की कोशिश कर रही है सरकार, बढ़ेगी बेरोजगारी
बरेली : बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में खामोशी से बदलाव का दौर शुरू हो गया है। शिक्षकों की भारी कमी से जूझ रहे इन स्कूलों में अब एनजीओ की ओर से नियुक्त ऐसे लोग बच्चों को पढ़ाते-सिखाते नजर आ सकते हैं जो न प्रशिक्षित होंगे न जिनके चयन की कोई स्पष्ट प्रक्रिया निर्धारित होगी। शासन के इस फैसले पर शिक्षकों का पारा चढ़ने लगा है। उन्होंने इसे बेसिक स्कूलों को निजी हाथों में सौंपने का पहला कदम करार देते हुए योग्य युवाओं के सामने बेरोजगारी का और भी ज्यादा संकट पैदा करने वाला फैसला बताया है। जल्द सड़कों पर उतरकर इसका विरोध करने का भी एलान किया है।
बेसिक स्कूलों में शिक्षा के स्तर पर पहले से सवाल उठते रहे हैं, लेकिन अब खुद शिक्षक ही इसमें और ज्यादा गिरावट आने का अंदेशा जता रहे हैं। दरअसल, अब इन स्कूलों में शिक्षण कार्य के लिए निजी संस्थाओं को अवसर
- अप्रशिक्षित होने के साथ सिर्फ 12वीं पास होंगे एनजीओ के कर्मचारी
बीएड, डॉक्टरेट वाले खाली, 12वीं पास करेंगे बच्चों का बेड़ा पार
पहली से पांचवीं तक बेसिक स्कूलों में बच्चों के लिए बेहतर शिक्षा के नाम पर निजी संस्था को मौका तो दिया गया है लेकिन उसके कर्मचारियों पर स्नातक पास करने के साथ बीटीसी, बीएड या सीटेट जैसी योग्यता की अनिवार्यता लागू नहीं की गई है। 12वीं पास अभ्यर्थी ही स्कूलों में बच्चों का बेड़ा पार करेंगे। निजी संस्था इनका चयन कैसे करेगी, यह भी साफ नहीं है। |
देने की शुरुआत की गई है। बरेली जिले में बेसिक स्कूलों में पहली से पांचवीं तक के बच्चों को विभिन्न गतिविधियां सिखाने की जिम्मेदारी हुमाना पीपुल टू पीपुल इंडिया नाम करार हुआ है। की एक निजी संस्था को दी गई है। इस संस्था ने पहले चरण में जिले के 35 स्कूलों में अपने शिक्षकों को तैनात कर बच्चों को सिखाने-पढ़ाने का काम शुरू करा दिया है। क्यारा
बोले- ये युवाओं-बच्चों के भविष्य से खिलवाड़
निजी संस्थाओं के स्कूलों में प्रवेश का उद्देश्य निजीकरण को बढ़ावा देना है। उत्तर प्रदेश में लाखों योग्यताधारी युवा बेरोजगार पड़े हुए हैं। साफ दिख रहा है कि अब निजीकरण के जरिए नई रिक्तियों पर भी रोक लगाने की तैयारी है।
-नरेश गंगवार, प्रांतीय उपाध्यक्ष प्राथमिक शिक्षक संघ
निजी संस्था का बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में शैक्षिक दखल होने से उनमें पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य तो अंधकारमय होगा ही, बेरोजगारी भी बढ़ेगी। इस बहाने निजीकरण को तेजी से बढ़ावा दिया जा रहा है।
- डॉ. विनोद शर्मा, मंडल अध्यक्ष, पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ
विभिन्न गतिविधियों के साथ बच्चों को कुछ नया सिखाने और बताने के लिए अनुमति दी गई है।
- संजय सिंह, बीएसए
” बेसिक स्कूलों में पढाने के लिए शासन स्तर पर 2025 तक के लिए एमओयू हुआ है। इसके तहत स्कूलों में कम से कम 12वीं पास अभ्यर्थियों को रखा जा रहा है।
- विजय कुमार शर्मा, डिविजन ऑर्गेनाइजर
ब्लॉक के कई स्कूलों में भी हुमाना सक्रिय रूप से काम कर रही है। हुमाना के अधिकारियों का कहना है कि इसके लिए शासन स्तर पर
उधर, विभाग के शिक्षक समुदाय में इस शुरुआत के बाद खलबली का माहौल है। शिक्षक नेताओं का कहना है कि बेसिक स्कूलों में शिक्षक और शिक्षामित्रों के ही
शिक्षण कार्य करने की व्यवस्था है। एनजीओ को पैर जमाने का मौका देने का फैसला सरकार के निजीकरण की ओर कदम बढ़ाने का संकेत दे रहा है। उनका कहना है कि अभी सरकार का इरादा साफ होना बाकी है। शिक्षक भी रणनीति बना रहे हैं। अगर निजी संस्था को शिक्षण कार्य की जिम्मेदारी दी गई तो सड़कों पर उतरकर आंदोलन किया जाएगा।