Home PRIMARY KA MASTER NEWS बीएसए को दूसरे बीएसए, बेसिक शिक्षा सचिव के फैसले पर टिप्पणी करने का अधिकार नहीं

बीएसए को दूसरे बीएसए, बेसिक शिक्षा सचिव के फैसले पर टिप्पणी करने का अधिकार नहीं

by Manju Maurya

समकक्ष के आदेश पर नहीं कर सकते टिप्पणी
प्रयागराज, । बेसिक शिक्षा अधिकारी बुलंदशहर ने अपने ही विभाग के वरिष्ठ अधिकारी सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के आदेश को दरकिनार कर दिया। सिर्फ इतना ही नहीं उन्होंने अपने समकक्षीय अधिकारी बीएसए अमेठी के आदेश पर भी प्रतिकूल टिप्पणी कर दी। मामला हाईकोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने बीएसए बुलंदशहर के आदेश पर रोक लगाते हुए उनसे व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है। कोर्ट ने उन्हें यह बताने को कहा है कि किस अधिकार के तहत उन्होंने इस प्रकार का आदेश किया। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ल ने अर्चना तालियान की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।

याची के अधिवक्ता ऋषि श्रीवास्तव के मुताबिक याची ने अंतर्जनपदीय स्थानांतरण नीति के तहत अमेठी से बुलंदशहर स्थानांतरण के लिए बीएसए अमेठी को आवेदन किया था। याची ने अपने आवेदन में कहा कि उनके पति दिल्ली पुलिस में कार्यरत हैं इसलिए याची का स्थानांतरण दिल्ली के पास स्थित बुलंदशहर किया जाए। बीएसए अमेठी ने याची के पति के दिल्ली पुलिस में कार्यरत होने के आधार पर आवेदन पर याची को 10 अंक दिए और प्रार्थना पत्र सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को अग्रसारित कर दिया गया। विस्तृत समीक्षा के बाद सचिव बेसिक शिक्षा परिषद ने अंतर्जनपदीय स्थानांतरण को मंजूरी दे दी। उसके बाद याची का स्थानांतरण अमेठी से बुलंदशहर कर दिया गया। जब याची ने बीएसए बुलंदशहर से ज्वाइन कराने के लिए संपर्क किया तो उन्होंने न सिर्फ ज्वाइन कराने से इनकार कर दिया बल्कि बीएसए अमेठी द्वारा याची के आवेदन पर आवंटित 10 अंक पर भी टिप्पणी करते हुए उनके निर्णय को गलत बताया।

इस आदेश को याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई। कोर्ट ने कहा कि प्रथमदृष्टया बीएसए बुलंदशहर को सचिव बेसिक शिक्षा परिषद व बीएसए अमेठी के कार्य पर टिप्पणी करने का कोई क्षेत्राधिकार नहीं है। कानून की नजर में बीएसए बुलंदशहर का आदेश जारी रहने योग्य नहीं है। कोर्ट ने 15 जुलाई 2023 को जारी बीएसए बुलंदशहर के आदेश पर रोक लगा दी और बेसिक शिक्षा परिषद के अधिवक्ता से इस मामले में जानकारी तलब की है। साथ ही बीएसए बुलंदशहर को मामले में व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है कि किस कानूनी प्रावधान के तहत उन्हें इस प्रकार का आदेश करने का अधिकार है

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