जहाँ तक मेरा ASSUMPTION है,परिस्थिति और अनुभव अनुसार, BEd 69000 मा० उच्च न्यायालय से मुश्किल में आएगा
और हाँ ये भी सत्य है कि कोई भी मा० सर्वोच्च न्यायालय जाएगा बिना उच्च न्यायालय से मसले को हल करवाए तो उसको वापिस भेज दिया जाएगा
मा० सर्वोच्च न्यायालय में CAVEAT डाल नही सकते तो ये है कि जिनको भी पार्टी बनाया जाए वहाँ पर वे खड़े होकर कुछ ही बातें कहें
एक तो matter हाई कोर्ट में विचाराधीन है दूसरा राम शरण मौर्य वाला जजमेंट तीसरा राजस्थान जजमेंट आने से पहले vacancy हो चुकी थी और आपका matter वहाँ cutoff को लेकर था जिसमें BEd के आने के बाद ही इतनी उच्च मेरिट पर सीट्स सबसे ज़्यादा BEd की वजह से भरी हैं जिसमें पुरानी vacancy का पूरा हवाला दीजिएगा
शेष लखनऊ में BEd वालों की पैरवी पर निर्भर करता है