उत्तर प्रदेश में आये दिन शिक्षामित्रों की आर्थिक तंगी के चलते असामयिक मृत्यु की खबर समाचार पत्रों व सोशल रहती है। जनपद अम्बेडकर नगर के ( वरिष्ठ शिक्षामित्र ) राम चन्दर मौर्य ने शिक्षामित्रों की दुर्दशा का काफी हद
मीडिया पर प्रकाशित व प्रसारित होती
दिन आर्थिक तंगी के चलते शिक्षामित्रों की मौत हो रही है। फिर भी शिक्षामित्र संगठनों द्वारा शिक्षामित्रों की लाशों पर राजनीति करने का काम किया जा रहा है। यदि उत्तर प्रदेश के सभी शिक्षामित्र संगठनों ने शिक्षामित्र हित में एकजुट होकर संघर्ष व प्रयास
- दस हजार शिक्षामित्रों की लाशों पर राजनीति कर रहे हैं शिक्षामित्र संगठन
● अपने आप को बड़ा होने के दिखावे के चक्कर में शिक्षामित्र संगठनों द्वारा किया जाता है अलग अलग कार्यक्रम
- शिक्षामित्र संगठनों के आपसी मतभेद का फायदा उठा रही सरकार, बेमौत मर रहा है उत्तर प्रदेश का शिक्षामित्र • कार्यक्रम को लेकर शिक्षामित्र संगठनों के प्रातीय नेतृत्व द्वारा सभी शिक्षामित्र संगठनों को एकजुट करने हेतु नही किया गया विचार विमर्श व प्रयास
● शिक्षामित्र संगठनों के आपसी फूट व मतभेद का परिणाम भुगत रहे हैं शिक्षामित्र, उत्तर प्रदेश में संचालित है दर्जनों की संख्या में शिक्षामित्र संगठन
तक जिम्मेदार उत्तर प्रदेश में संचालित किया होता तो शिक्षामित्रों की समस्याओं रैली का आयोजन भी किया गया। के आपसी फूट व मतभेद का सन्देश चिंता बनी हुई है। फिर भी प्रदेश के संगठनों से अपील करते हुए कहा शिक्षामित्र संगठनों को ठहराया है। का समाधान संभवतः हो गया होता। लेकिन शिक्षामित्रों द्वारा सरकार के निश्चित रूप से शासन तक पहुंचेगा। अधिकतर शिक्षामित्र, शिक्षामित्र कि शिक्षामित्र हित में प्रदेश के सभी उन्होंने कहा कि समायोजन निरस्त उत्तर प्रदेश में लगभग दस हजार से समर्थन में की गई रैली का परिणाम जिसका परिणाम शिक्षामित्र हित में संगठनों के अंधभक्त बने हुए हैं। शिक्षामित्र संगठन एकजुट होकर होने के बाद छः वर्ष से अधिक का अधिक शिक्षामित्रों की मौत हो चुकी शून्य रहा। वर्तमान में शिक्षामित्र संगठनों कदापि नहीं होगा। आयोजित शिक्षामित्र शिक्षामित्र राम चन्दर मौर्य ने कहा संयुक्त रूप से शिक्षामित्र हित में समय बीत गया। लेकिन प्रदेश में है लेकिन फिर भी शिक्षामित्र संगठनों को शिक्षामित्र हित से अधिक उन्हें कार्यक्रमों को लेकर शिक्षामित्र संगठन शिक्षामित्र संगठनों द्वारा अलग अलग संघर्ष व प्रयास करें। जिससे उत्तर संचालित दर्जनों शिक्षामित्र संगठनों में आपसी फूट बनी हुई है। शिक्षामित्र अपने बड़ा होने की दिखाये की चिंता के शीर्ष नेतृत्य द्वारा प्रदेश में अन्य गुट में बटकर आयोजित कार्यक्रम प्रदेश के पीडित शिक्षामित्रों की प्रयास व संघर्ष नहीं किया गया। जबकि फायदा सरकार द्वारा उठाया जा रहा संगठनों द्वारा गुटबाजी की भावना से नेतृत्वों से आपस में विचार विमर्श व है। अलग अलग गुट में बटकर शिक्षामित्र संगठनों के आपसी फूट व सभी शिक्षामित्र संगठनों का मूल उद्देश्य है और उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्र बेमौत ओतप्रोत होकर अलग अलग कार्यक्रम एक जुट होकर संयुक्त रूप से कार्यक्रम आयोजित करने से शिक्षामित्रों मतभेद का परिणाम बदहाली के रूप
द्वारा एकजुट होकर शिक्षामित्र हित में संगठनों के आपसी मतभेद का भरपूर बनी हुई है। जिसके कारण शिक्षामित्र संचालित शिक्षामित्र संगठनों के शीर्ष शिक्षामित्र हित को लेकर चिंता जनक समस्याओं का समाधान हो सके। प्रदेश के शिक्षामित्रों का भला करना मरने के लिए मजबूर हैं। लम्बे समय आयोजित किए जा रहे हैं। सितम्बर शिक्षामित्र हित में संघर्ष करने का की समस्याओं का समाधान मुश्किल में उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्र भुगत है। इस समय शिक्षामित्रों को 10000 के अन्तराल के बाद फरवरी माह में व अक्टूबर माह के कार्यक्रम को प्रयास नहीं किया गया। शिक्षामित्र ही नहीं असंभव भी है। शिक्षामित्र राम रहे हैं। इससे शिक्षामित्रों को सबक मासिक मानदेय 11 महीने के लिए सरकार के समर्थन में एकजुट होकर संगठन विशेष द्वारा आयोजित किया संगठनों को शिक्षामित्र हितों की चिंता चन्दर मौर्य ने उत्तर प्रदेश के सभी सीखना चाहिए तभी शिक्षामित्रों की दिया जाता है। बढ़ती मंहगाई में आये संयुक्त रूप से शिक्षामित्र संगठनों द्वारा जा रहा है। कार्यक्रम के द्वारा संगठनों से अधिक अपने अस्तित्व को लेकर जागरूक शिक्षामित्रों व शिक्षामित्र समस्याओं का समाधान हो सकता है।