अमृत विचार: न्यू पेंशन स्कीम यानी एनपीएस पर सरकार ने दावे चाहे जो किए गए हो लेकिन कर्मचारियों का कहना है कि असलियत अब उनके सामने आ चुकी है। एक-एक लाख वेतन पाने वालों को बमुश्किल डेढ़ हजार की पेंशन दी जा रही है।
कर्मचारियों का कहना है कि सरकार न सिर्फ कर्मचारियों बल्कि उनके नाम पर अपना पैसा भी कंपनियों में निवेश करा रही है और इस पूरी प्रक्रिया में जरा भी विश्वसनीयता नहीं है। कर्मचारियों का कहना है कि एनपीएस भी उन कृषि कानूनों की तरह है जिनका देश भर के किसानों ने विरोध किया था। एनपीएस भी सरकार को हर हाल में वापस लेनी पड़ेगी। कर्मचारी अब किसी भी दबाव में झुकने वाले नहीं हैं।
इस मुद्दे को दबाना किसी के बस की बात नहीं
कर्मचारी सयुक्त परिषद के उपाध्यक्ष एनसीसी मुख्यालय में कार्यरत जगपाल सिंह भाटी कहते हैं कि पुरानी पेंशन कर्मचारियों का हक है जिसे सरकार छीन रही है। पुरानी पेंशन आदोल न चुका है, जिसे दबाना अब किसी सरकार के बस की बात नहीं है। एनपीएस कर्मचारियों को भयभीत कर रही है। उन्हें आशंका है कि रिटायरमेंट के बाद कहीं खाली हाथ घर न जाना पडे। पुरानी पेंशन सरकारी कर्मचारी का हक है जो उसे मिलना ही चाहिए। सरकार ने पुरानी पेंशन के मुद्दे को गंभीरता से न लिया तो हो सकता है कर्मचारी वोट ही न दे।
एक लाख से ज्यादा था वेतन पेंशन 15 सौ
नवादा शेखान में रहने वाले वीरेंद्र सिंह गंगवार एनपीएस के भुक्तभोगी है। वह पंडित दीनदयाल उपाध्याय जूनियर हाईस्कूल करना में शिक्षक थे और हाल ही में अब रिटायर हुए हैं।
बताते है कि उनका अंतिम वेतन एक लाख रुपये था लेकिन एनपीएस के तहत आठ हजार उन्हें है सिर्फ 1516 रुपये की मासिक पेंशन मिल रही है। वीरेंद्र सिंह ने अमृत विचार का आभार जताते हुए कहा कि शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए बेहद पीडादायक है। अमृत विचार कम से कम उनकी आवाज तो उठा रहा है।
यह पेंशन की नहीं धोखाधड़ी की स्कीम
मनोहर भूषण इंटर कॉलेज में प्रवक्ता सुमित गंगवार एनपीएस को पेंशन स्कीम नहीं मानते बल्कि धोखाधड़ी की स्कीम बताते हैं। कहते हैं कर्मचारियों के पैसो का लेखाजोखा निजी कंपनियों के हाथों में है। एनपीएस से जो पेंशन मिलेगी, उससे कर्मचारी के परिवार का गुजारा नहीं हो सकता है। ओपीएस में सब कुछ तय है। अब जो लोग रिटायर हो रहे हैं, उन्हें बमुश्किल 15 सौ रुपये तक पेंशन मिल रही है। एनपीएस कर्मचारियों पर जबरन थोपी जा रही है। शेयर मार्केट आधारित इस स्कीम में कुछ तय नहीं है
एनपीएस में न कोई गारंटी न कोई सुरक्षा
भुता के मेहतरपुर करोड़ कंपोजिट स्कूल मैं कार्यरत शिक्षक सारिका सक्सेना का कहना है कि एनपीएस के तहत जबरन वेतन काटा जा रहा है। जी कर्मचारी कटौती नहीं करा रहा है, उसकी सूची मांगी जा रही है जबकि एनपीएस में न कोई गारंटी है न कोई सुरक्षा बोली, पुरानी है- पेंशन पा रहे हमारे पिता किसी पर आश्रित नहीं है। हमें अभी से भविष्य की चिंता सता रही है। सेवानिवृत्ति के बाद हमारा जीवन सुरक्षित नहीं है। एनपीएस के लिए कर्मचारियों पर दबाव बनाना ठीक नहीं है। ओपीएस लागू हो।