नई दिल्ली। आयकर विभाग जल्द ही आयकर रिटर्न समेत अन्य कर नोटिस के मामलों में लोगों को जानकारी देने और उनकी मुश्किलें दूर करने के लिए हेल्पलाइन शुरू करेगा। अभी विभाग ने पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर कॉलसेंटर की शुरुआत की है, जहां से वह खुद आयकरदाताओं को फोन कर जानकारियां उपलब्ध करा रहा है। इसकी सफलता के बाद इस प्रोजेक्ट को देशव्यापी स्तर पर लागू किए जाने की तैयारी है। इसके बाद कॉल सेंटर में आयकरदाता संपर्क कर पाएंगे।
आयकर के जरिए सरकार की कमाई में हुई बढ़ोतरी
तकनीक के इस्तेमाल और टैक्स चोरी को रोकने के लिए युद्ध स्तर पर उठाए गए कदमों के चलते विभाग की कमाई लगातार बढ़ती जा रही है। आंकड़ों के मुताबिक 9 अक्टूबर तक 11.07 लाख करोड़ रुपये प्रत्यक्ष कर इकट्ठा किया गया है, जो पिछले वित्तवर्ष की समान अवधि के मुकाबले 18 फीसदी ज्यादा है। कुल टैक्स में से व्यक्तिगत आयकर में 30 फीसदी और कॉरपोरेट टैक्स में 7.3 फीसदी की वृद्धि हुई है।
गेमिंग और क्रिप्टो से 700 करोड़ का टीडीएस जुटाया
सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग और क्रिप्टो कारोबार के लिए नई स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) व्यवस्था लाए जाने के बाद चालू वित्त वर्ष में अबतक इनसे 700 करोड़ रुपये से अधिक का कर जुटाया है। इसमें गेमिंग से लगभग 600 करोड़ और क्रिप्टो से लगभग 105 करोड़ रुपये का कर मिला है।
अब तक रिफंड नहीं आया तो यह काम करें
नितिन गुप्ता ने बताया है कि जिन कुछ करदाताओं को आयकर रिफंड में मुश्किल आ रही होगी, उन्हें अपने बैंक की जानकारियां आयकर विभाग के पास सही-सही अपडेट कराने की जरूरत है। उनके मुताबिक ऐसे करीब 35 लाख मामले हैं, जिनमें बैंक की पुष्टि नहीं हो पा रही है। विभाग की तरफ से इन करदाताओं से संपर्क किया जा रहा है। ऐसे मामलों में कहीं खाता नंबर गलत है तो कहीं आईएफएससी कोड गलत पाया जा रहा है। साथ ही कई बैंकों के मर्जर के बाद लोगों ने अपनी नई जानकारियां दर्ज नहीं की है। ऐसा करने की वजह से लोगों को रिफंड मिलने में मुश्किल हो रही है।
1.5 लाख करोड़ लौटाए
आयकर विभाग की तरफ से 1 अप्रैल से लेकर 9 अक्टूबर 2023 तक 1.5 लाख करोड़ रुपये का रिफंड किया गया है। वित्तवर्ष 2023-24 में 7.27 करोड़ आयकर रिटर्न फाइल किए गए हैं, जिनमें से 7.15 करोड़ सत्यापित हैं। विभाग की तरफ से 6.8 करोड़ रिटर्न प्रॉसेस किए जा चुके हैं।
इन शहरों में चल रहे कॉल सेंटर
मैसूरु,कर्नाटक और गोवा, मुंबई, दिल्ली और उत्तर-पश्चिम क्षेत्र। कॉल सेंटर के जरिए पिछले साल 1.4 लाख मामलों का समाधान किया गया।
●सौरभ शुक्ल